नमस्कार दोस्तो कैसे हो?
दोस्तो मैं आप लोगों आज घटारानी ,जतमई
ले जाने वाला हुं। क्या आप सभी तैयार है।
जतमई, घटारानी की सैर मे जाने के लिए,अगर हां तो चलो चलें। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है। घटारानी अर्थात घटाओं की रानी प्रकृतिक के गोद में बसा एक बहुुत ही सुन्दर व मनोरम स्थान है। जैसे बारिस होने वाला रहता है। तो उससे पहले बादल मे घटा छा जाता है। ठीक प्रकृति घटाओं लता और बेलो छोटे बडें पेडों विशाल पत्थरो के बीच मे माई घटारानी उसी प्रकार यहां झरने के किनारे स्थित है। जिसके दर्शन मात्र से अपार आनन्द की प्राप्ती होती है। जहां पर पहुंचने के बाद आपके रास्ते भर की थकान यु गुम होती है। जैसे पानी पीने के बाद प्यास तो आपके मन मे अभी से उत्साह हो रहा है। जो दुर से ही इतना सुन्दर है। वास्तव में वहां कितना सुन्दर होगा सच कहुं तो कहने के लिए मेरे पास उचित शब्द ही नही है। या उनके वर्णन के लिए उचित शब्द ही नही है। कहना चाहिए,घटारानी पहुंचने के बाद लगभग 500 मीटर पैदल सीढीयों में चलकर चढना पढता है। जहां पर गाडी पार्किग किया जाता है। वहां सें लगभग 50—100मीटर की दुरी में कई दुकान है। जहां पुजा की समान मिलता है। तथा घटा रानी में पीने का पानी का उचित साधन उपल्बध है। घटारानी में सबसे पहलें प्रवेश द्वार जो सीमेंट से बने हाथियों से आपका स्वागत करती है। उन हाथियों के सुडों के बीच में
1 गणेश की मुर्ति
स्थापित है। यहां से ही आपका घटारानी का दर्शन शुरू होता है।
आपको रास्ते में कई प्रकार के देवी देवता मिलेगे जो पत्थरो से निर्मित है। वहां सभी कई श्रध्दालु पैसा चढ़ाते है। अगर आपको भी चढाना है। तो बहुत सारा चिल्लर साथ ले जाना होगा कही जाने के बाद आपको पश्चाताप करने की जरूरत न पडें इसलिए पहले ही बताना उचित लगा मुझें,थोडी दुर में आपको दक्षिण दिशा में मुडना पडेगां तथा 1 मानव निर्मित पुल से गुजरना होगा। तथा 5—10 सीढी चढने के बाद आपको मां काली का दर्शन मिलेगा। वैसे इसका पुजा सबसे अन्तिम में करतें है।आपकी मर्जी पहले भी कर सकते है। कोई नियम थोडें ही है। मां काली की मुर्ति के पहले बाये हाथ साइड 1 रास्ता निकला है। जो थोडा दुर जाने पर दो राहों में बटा है। 1 पुर्व दिशा की ओर व 1 दक्षिण दिशा की ओर आपको 1 पुर्व दिशा की ओर जाना है। थोडा दुर में
शेर की मुख
की आकार वाली प्रवेश द्वार दिखाई देगा, वहां बीच से दोराहा कर दिया गया है। 1 आने व 1 जाने के लिए ज्यादा भीड को नियंत्रित करने के लिए यही पर मां घटारानी देवी दो शिलाखंडों के मध्य स्थित है। तथा यहां हमेशा ज्योति प्रज्वलित रहता है। इसलिए मां घटारानी के पास वाले शिलाखंड काफी काला दिखाई पडता है।
इसके बाद आप 2 राह जो दक्षिण दिशा की ओर जाता है। उधर जायेगे वहां आपको प्रकृति का आनन्द मिलेगा
तथा यहां से आप नीचे का पुरा नाजारा देख सकते है।
बहुत अच्छा नाजारा दिखाई पडता है। यहां से वापस में आप पुन: मां काली का दर्शन करेगें व उसके बाद आप अगर जाना चाहो तो जतमई जा सकते है।
यहां से लगभग 45 मिनट की दुरी पर है। जो लगभग 25 किलोमीटर की दुरी पर है। जो घटारानी से पुर्व दिशा कि ओर जाने वाली रास्ता से जाते है।
उसी रास्ते से जतमई पहुंचा जाता है।
जतमई घाटीयों के मध्य स्थित है। जतमई: गरियाबंद में रायपुर से 85 किमी की दूरी पर स्थित है। एक छोटा सा जंगल के खूबसूरत स्थलों के बीच है। जतमई मंदिर माता जतमई के लिए समर्पित है। मंदिर खूबसूरती से कई छोटे शिखर या टावरों और एक एकल विशाल टॉवर के साथ ग्रेनाइट के बाहर खुदी हुई है। मुख्य प्रवेश द्वार के शीर्ष पर, एक पौराणिक पात्रों का चित्रण भित्ति चित्र देख सकते हैं। जतमई की पत्थर की मूर्ति गर्भगृह के अंदर रखा गया है।यह घने जंगलों से ढंकी है और यहां कल-कल बहते पानी की आवाज सुनना बहुत ही सुकूनदायक लगता है। यहां कल कल करते झरने बरबपटेवा के निकट स्थित जतमई पहाड़ी एक २०० मीटर क्षेत्र में फैला पहाड़ है, जिसकी उंचाई करीब ७० मीटर है. यहां शिखर पर विशालकाय पत्थर एक-दूसरे के ऊपर इस कदर टिके हैं, जैसे किसी ने उन्हें जमाया हो. जतमई में प्रमुख मंदिर के निकट ही सिद्ध बाबा का प्राचीन चिमटा है, जिसके बारे में किवंदती है कि यह १६०० वीं शताब्दी का है. बारिश के दिनों झरनों की रिमझिम फुहार इसे बेहतरीन पिकनिक की जगह बना देता है , यहाँ पर्यटक नहाने का बहुत आनंद उठाते हैं|
स ही लोगो का मन मोह लेते है जतमई अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है प्रति वर्ष लाखो सैलानी यहाँ आते है ।और पिकनिक का लुफ्त उठाते है यहां का झरना प्रशिद्ध यही लोग अपने आप को इसमें भीगने से रोक नहीं पाते । जतमई प्रकृति की गोद में बसा है यहाँ आकर आप पर्वत चढ़ने का भी मज़ा ले सकते है।जतमई मार्ग पर और भी पर्यटक स्थल है यहाँ पास में छोटा सा बांध है यह पिकनिक स्पॉट भी है, जहां आप नहाने का भी मजा ले सकते हैं।
इन दोनो स्थलो में नवरात्र,शिवरात्री, आदि त्योहार के अवसरो मे अधिक श्रध्दालुगण माई के दर्शन के लिए आते है।
जतमाई पहुचने के लिए सबसे सस्ता और सरल सड़क मार्ग राजिम से बेल्तुकरी कौन्द्केरा होते हुए जाता है, रात रुकने के लिए राजिम में पुन्नी रिसोर्ट और लाज की सुविधा भी उपलब्ध है, इसके अलावा जतमाई में भी रात रुकने के लिए वन विभाग द्वारा विश्राम गृह की व्यवस्था है, वन विभाग का चेतना केंद्र भी पर्यटकों के लिए शिविर का इंतजाम करता है,
आपको यह जानकारी कैसा लगा हमे जरूर अवगत करायें। आपका अपना आर्यन चिरामआ पको यह जानकारी कैसा लगा हमे जरूर अवगत करायें। आपका अपना आर्यन चिराम
दोस्तो मैं आप लोगों आज घटारानी ,जतमई
ले जाने वाला हुं। क्या आप सभी तैयार है।
जतमई, घटारानी की सैर मे जाने के लिए,अगर हां तो चलो चलें। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है। घटारानी अर्थात घटाओं की रानी प्रकृतिक के गोद में बसा एक बहुुत ही सुन्दर व मनोरम स्थान है। जैसे बारिस होने वाला रहता है। तो उससे पहले बादल मे घटा छा जाता है। ठीक प्रकृति घटाओं लता और बेलो छोटे बडें पेडों विशाल पत्थरो के बीच मे माई घटारानी उसी प्रकार यहां झरने के किनारे स्थित है। जिसके दर्शन मात्र से अपार आनन्द की प्राप्ती होती है। जहां पर पहुंचने के बाद आपके रास्ते भर की थकान यु गुम होती है। जैसे पानी पीने के बाद प्यास तो आपके मन मे अभी से उत्साह हो रहा है। जो दुर से ही इतना सुन्दर है। वास्तव में वहां कितना सुन्दर होगा सच कहुं तो कहने के लिए मेरे पास उचित शब्द ही नही है। या उनके वर्णन के लिए उचित शब्द ही नही है। कहना चाहिए,घटारानी पहुंचने के बाद लगभग 500 मीटर पैदल सीढीयों में चलकर चढना पढता है। जहां पर गाडी पार्किग किया जाता है। वहां सें लगभग 50—100मीटर की दुरी में कई दुकान है। जहां पुजा की समान मिलता है। तथा घटा रानी में पीने का पानी का उचित साधन उपल्बध है। घटारानी में सबसे पहलें प्रवेश द्वार जो सीमेंट से बने हाथियों से आपका स्वागत करती है। उन हाथियों के सुडों के बीच में
1 गणेश की मुर्ति
स्थापित है। यहां से ही आपका घटारानी का दर्शन शुरू होता है।
आपको रास्ते में कई प्रकार के देवी देवता मिलेगे जो पत्थरो से निर्मित है। वहां सभी कई श्रध्दालु पैसा चढ़ाते है। अगर आपको भी चढाना है। तो बहुत सारा चिल्लर साथ ले जाना होगा कही जाने के बाद आपको पश्चाताप करने की जरूरत न पडें इसलिए पहले ही बताना उचित लगा मुझें,थोडी दुर में आपको दक्षिण दिशा में मुडना पडेगां तथा 1 मानव निर्मित पुल से गुजरना होगा। तथा 5—10 सीढी चढने के बाद आपको मां काली का दर्शन मिलेगा। वैसे इसका पुजा सबसे अन्तिम में करतें है।आपकी मर्जी पहले भी कर सकते है। कोई नियम थोडें ही है। मां काली की मुर्ति के पहले बाये हाथ साइड 1 रास्ता निकला है। जो थोडा दुर जाने पर दो राहों में बटा है। 1 पुर्व दिशा की ओर व 1 दक्षिण दिशा की ओर आपको 1 पुर्व दिशा की ओर जाना है। थोडा दुर में
शेर की मुख
की आकार वाली प्रवेश द्वार दिखाई देगा, वहां बीच से दोराहा कर दिया गया है। 1 आने व 1 जाने के लिए ज्यादा भीड को नियंत्रित करने के लिए यही पर मां घटारानी देवी दो शिलाखंडों के मध्य स्थित है। तथा यहां हमेशा ज्योति प्रज्वलित रहता है। इसलिए मां घटारानी के पास वाले शिलाखंड काफी काला दिखाई पडता है।
इसके बाद आप 2 राह जो दक्षिण दिशा की ओर जाता है। उधर जायेगे वहां आपको प्रकृति का आनन्द मिलेगा
बहुत अच्छा नाजारा दिखाई पडता है। यहां से वापस में आप पुन: मां काली का दर्शन करेगें व उसके बाद आप अगर जाना चाहो तो जतमई जा सकते है।
यहां से लगभग 45 मिनट की दुरी पर है। जो लगभग 25 किलोमीटर की दुरी पर है। जो घटारानी से पुर्व दिशा कि ओर जाने वाली रास्ता से जाते है।
उसी रास्ते से जतमई पहुंचा जाता है।
जतमई घाटीयों के मध्य स्थित है। जतमई: गरियाबंद में रायपुर से 85 किमी की दूरी पर स्थित है। एक छोटा सा जंगल के खूबसूरत स्थलों के बीच है। जतमई मंदिर माता जतमई के लिए समर्पित है। मंदिर खूबसूरती से कई छोटे शिखर या टावरों और एक एकल विशाल टॉवर के साथ ग्रेनाइट के बाहर खुदी हुई है। मुख्य प्रवेश द्वार के शीर्ष पर, एक पौराणिक पात्रों का चित्रण भित्ति चित्र देख सकते हैं। जतमई की पत्थर की मूर्ति गर्भगृह के अंदर रखा गया है।यह घने जंगलों से ढंकी है और यहां कल-कल बहते पानी की आवाज सुनना बहुत ही सुकूनदायक लगता है। यहां कल कल करते झरने बरबपटेवा के निकट स्थित जतमई पहाड़ी एक २०० मीटर क्षेत्र में फैला पहाड़ है, जिसकी उंचाई करीब ७० मीटर है. यहां शिखर पर विशालकाय पत्थर एक-दूसरे के ऊपर इस कदर टिके हैं, जैसे किसी ने उन्हें जमाया हो. जतमई में प्रमुख मंदिर के निकट ही सिद्ध बाबा का प्राचीन चिमटा है, जिसके बारे में किवंदती है कि यह १६०० वीं शताब्दी का है. बारिश के दिनों झरनों की रिमझिम फुहार इसे बेहतरीन पिकनिक की जगह बना देता है , यहाँ पर्यटक नहाने का बहुत आनंद उठाते हैं|
स ही लोगो का मन मोह लेते है जतमई अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है प्रति वर्ष लाखो सैलानी यहाँ आते है ।और पिकनिक का लुफ्त उठाते है यहां का झरना प्रशिद्ध यही लोग अपने आप को इसमें भीगने से रोक नहीं पाते । जतमई प्रकृति की गोद में बसा है यहाँ आकर आप पर्वत चढ़ने का भी मज़ा ले सकते है।जतमई मार्ग पर और भी पर्यटक स्थल है यहाँ पास में छोटा सा बांध है यह पिकनिक स्पॉट भी है, जहां आप नहाने का भी मजा ले सकते हैं।
इन दोनो स्थलो में नवरात्र,शिवरात्री, आदि त्योहार के अवसरो मे अधिक श्रध्दालुगण माई के दर्शन के लिए आते है।
जतमाई पहुचने के लिए सबसे सस्ता और सरल सड़क मार्ग राजिम से बेल्तुकरी कौन्द्केरा होते हुए जाता है, रात रुकने के लिए राजिम में पुन्नी रिसोर्ट और लाज की सुविधा भी उपलब्ध है, इसके अलावा जतमाई में भी रात रुकने के लिए वन विभाग द्वारा विश्राम गृह की व्यवस्था है, वन विभाग का चेतना केंद्र भी पर्यटकों के लिए शिविर का इंतजाम करता है,
आपको यह जानकारी कैसा लगा हमे जरूर अवगत करायें। आपका अपना आर्यन चिरामआ पको यह जानकारी कैसा लगा हमे जरूर अवगत करायें। आपका अपना आर्यन चिराम
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