केशकाल घाट[तेलिन सती मंदिर]
नमस्कार दोस्तों आपकों मैं।आज केशकाल घाट लेकर जा रहा हुं। केशकाल के बारे में आप भली भांति जानते या सुनें भी होगे की केशकाल को बस्तर का प्रवेष द्वार कहा जाता है। तथा केशकाल को और कई नामों से जाना जाता है। जैसे लिटिल पाकिस्तान बारा भवंर आदि के नाम से भी जाना जाता है। तथा बस्तर जिस प्रकार छत्तीसगढ के लिए एक महत्वपुर्ण भुमिका अदा करता है। ठीक उसी प्रकार केशकाल बस्तर के लिए एक महत्वपुर्ण भुमिका अदा करता है। दोस्तो केशकाल कई मायनो में अपने आप में एक विषेश महत्व रखता है।केशकाल पहुंचने से पहले 12 भंवर को चढना पडता है। तथा चैथे मोड मे एक मंदिर दिखाई पडता है। जिसे तेलिनसती मंदिर के नाम से जाना जाता है। तेलीनसती मंदिर आने जाने वाले यात्रियों के लिए एक आस्था का मंदिर है। यहां आने जानें वाले सभी वाहन कुछ समय के लिए जरूर रूकते है। व मंदिर का प्रसाद जरूर लेते जातें है। तथा इसी बारा भंवर के अंन्तिम उंचाई में सीता पंचवटी था जिसे पुलिस वालो ने अपने कब्जें मे ले लिया है। तथा किसी को वहां जानें की अनुमति नही दी जाती है। तथा केषकाल घाट को पार करने पर उपर में बसा केशकाल है। जहां कहा जाता है। कि मुस्लिम भाईयों की जनसंख्या अधिक है। इसलिए इसें छोटा पाकिस्तान के नाम से भी जाना जाता है। केषकाल घाट के आस पास ही भंगाराम का निवास स्थल है। जो सभी देवता को दंण्ड व कुछ समय के लिए उनकों उनके षक्ति से वछिंत भी करता है। इनका मेंला साल में 1 बार लगता है। इसमे देवताओं की कियें गयें कार्यो की परीक्षण किया जाता है। तथा उनकों उनकें द्वारा किये गयें गलत कार्यो के लिए दण्ड भी दिया जाता है।
अगर आप
केशकाल घाट की प्राकृतिक सौदर्य का आनंन्द लेना चाहते है। तो आप खुली गाडी या पैदल या बाईक से जायेंगें तो अधिक अच्छे से केशकाल घाट की प्राकृतिक सौंदर्य का आनंन्द ले सकते है। तथा मजा ले सकते है। अगर आप बंध गाडी से जायेंगें तो उतने आनंन्द नही ले पायेंगें तथा केशकाल के आस पास अनेंक प्राकृतिक सौदर्य तथा कई पुरातात्विक तत्व बिखरे है। जिसे इतिहासकार भी कुछ की खोज कर चुके है। तथा कई पुरातात्विक खोजे अभी बांकि है जिनका खोज किया जाना चाहिए ,जो खोजा जा चुका है।
जिसमें से कुछ स्थानों का नाम इस प्रकार है। गढ धनौरा जहां कई पुराने जमानें के चीजें आज भी उपस्थित है। तथा जिसे गोबरहिन के नाम से भी जाना जाता है।तथा अडेंगा ग्राम जहां नाग युगीन सिक्के मिलें है। तथा बडेराजपुर बस्तर राजवंष के समय बहुत ही प्रसिध्द जगह था जहंा कई प्रकार के पुरातात्विक चीजे मिलने की संम्भावना है। तथा बडे डोंगर राजा दरियादेव के समय की उपराजधानी थी जहां के प्रतिनिधित्व के लिए छत्तीसगढ का पहला विद्रोह 1774 से 1779 तक हुआ था
इसके अलावा कई छोटे बडें प्राकृतिक स्थल हमको केशकाल के आस पास देखने को मिलेगा तथा कई पुरातात्विक स्थल भी हमको देखने को मिलेगा जय हल्बा जय मां दन्तेष्वरी दोस्तो अगली बार नई जानकारी व नयें स्थल के साथ मिलेंगें आपकों, आपका स्नेहिल आर्यन चिराम