बस्तर के छेरकिन मंदिर को भारत सरकार ने पुरातात्विक स्थल घोषित किया
है जैसा की हम और आप जानते है बस्तर सदियों से खोज का विषय रहा है और अपने इन्ही
विशेषताओ के चलते बस्तर पर शोध हेतु देश विदेश से शोधार्थी आते रहते है और यंहा की
रहन सहन रीतिरिवाज और जीवन शैली और यंहा की पुरातात्विक मंदिरों और अन्य जगहों की
जानकारी जुटाते रहते है यह कहना गलत नही होगा बस्तर एक अनसुलझी पहेली है जिसे लोग
अपने अपने विवेक और क्षमता के अनुसार सुलझाने की कोशिश में लगे है और कई हद तक
कामयाब भी हुए है आज के बस्तर के यात्रा में उन्ही पुरातात्विक मेसे एक स्थल
छेरकिन मंदिर जंहा आपको लेकर आये है यह mandir लगभग आजादी के आसपास या उससे लगभग
25-30 साल पूर्व बना है ऐसा मालूम पढता है mandir के सामने द्वार पर ही पत्थर पर
कुछ सन अंकित मिलता है जिससे मै यह अनुमान लगाया हूँ अगर कोई प्राचीन भाषा
विज्ञानी होगा वह और अछे से और सही सन की जानकारी दे सकता है यह मंदिर बारसूर के
बत्तीसा मंदिर से कांफी मिलता जुलता है या ये कहु की 90% जुड़ता है और मेरा अनुमान
है लगभग 3 से 4 साल के अंतर में बने होंगे क्योकि इनकी नक्काशी और पत्थर काटने की
कला और उन्हें एक साथ बिठाने की कला लगभग सामान है यह भी अनुमान लगाया जा सकता है
की कंही वही कारीगर लोग ही तो यह मंदिर नही बनाये होंगे जिन्होंने मामा भांजा
मंदिर और बत्तीसा मंदिर बनाये है एक अनुमान और समानता यह भी है बारसूर के बत्तीसा मंदिर, मामा भांजा मंदिर में भी शिवलिंग
स्थापित है और यह छेरकिन मंदिर में भी शिवलिंग ही स्थापित है इस बस्तर के छेरकिन
मंदिर को शिव मंदिर के नाम से भी जाने जाता है और इन्हें संवर्धित करने के लिए
सरकार इन्हें संरक्षण में भी लिया है, आप अगर कभी बस्तर जाते है तो यह मंदिर जरुर
जाइये यह पुरातात्विक रूप से व दार्शनिक रूप दोनों रूपों में महत्वपूर्ण है आज की
जानकारी बस इतना ही आगे फिर किसी नए जगह के साथ मिलेंगे जब तक के लिए जय माँ
दंतेश्वरी
मंदिर के सामने में कुछ अर्धभंग मुर्ति है ऐसा लगता है जिन्हे संरक्षित न करने के करना उनका कुछ कुछ अंग टूट गया हो अथवा शरारती तत्वों द्वारा जान बुझकर नुक्सान पहुचाई गई हो
कुछ साभार फोटो संलग्न है
0 टिप्पणियाँ