दोस्तो मै आप लोगों को आज तीरथगढ़ जलप्रपात
लेकर जा रहा हुं। दोस्तो यह बहुत ही सुंन्दर और मनोरम दृश्य है।
जहां आप 1 बार जायेंगें तो जरूर दुबारा जाने का मन करेगा,कहने का तात्पर्य यह है।
कि आपके मन को बार—बार आर्कषित करेगा आपको तीरथगढ के बारे में कुछ बताना चाहुंगा जो निम्नाकिंत है।
दूधहा प्रपात के नाम से मशहूर तीरथगढ़ के तीन प्रपातों में हमेशा सफेद रंग के झाग रहते हैं, जिससे इसे दूध जैसा रंग मिलता है। कांगेरघाटी में स्थित यह जगह अपनी घनी वनस्पतियों और ऐसे जंगलों के लिए मशहूर है। ये जंगल इतने घने हैं कि सूरज की रोशनी भी इन्हें भेद नहीं पाती। ट्रैकिंग के दीवानों के लिए तो यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है।
|
इसके नजदीक ही स्थित हैं मशहूर कोटमसर गुफाएं, जो सबसे लंबी और गहरी भूमिगत गुफाएं हैं। जमीन में 300 फुट से भी ज्यादा गहराई में स्थित कोटमसर की अंधेरी और काली गुफाओं में छिपे हैं धरती के गहरे रहस्य। इन गुफाओं में इतना घना अंधेरा होता है कि यहां रहने वाली मछलियां जन्म से ही अंधी होती हैं। उनके विकास के हजारों साल में उन्होंने कभी सूर्य की किरण तक नहीं देखी है। इन गुफाओं के अंत में एक शिवलिंग स्थित है
|
तीरथगढ़ जल प्रपात गीदम रास्ते में है। मुनगाबहार नदी पर यह जलप्रपात है। जो प्राकृतिक रूप से निर्मित है। जो सीढ़ी नुमा दिखता है। तथा लगभग 300 फिट नीचे गीरता है। यह भारत का सबसे बडा जलप्रपात है।
यह जल प्रपात वस्तुत: कांगेरघाटी राष्ट्रीय उधान में उधान के प्रवेश द्वार से लगभग 15 मिनट पर स्थित हैं। जो जगदलपुर के दक्षिण में 35 किमी. हैं। यह जलप्रपात आगे जाकर विभिन्न प्रपातों में विभाजित हो जाता हैं विभाजन का यह स्थान विहंगम छटा प्रस्तुत करता हैं। तीरथगढ़ जलप्रपात चित्रकूट जलप्रपात जितना व्यापक नहीं हैं। परंतु उससे लगभग थोड़ा ही छोटा है। पहाड़ी के मध्य से बहती इसकी जलधारा अपनी पूर्ण गति से चटटानों के बीच जहां गिरती हैं। वहां पर एक छोटा मंदिर भी है। इस स्थान के आस-पास एक हजार साल पुराने उन्नत हिन्दु सभ्यता के अवषेश बिखरे है। तीरथगढ़ एक सुंदर पिकनिक स्थल के रूप में जाना जाता हैं।
मेरे द्वारा लिया गया चित्र देखें
तों आप सपरिवार 1 बार जरूर तीरथगढ की सैर कर आयें आपको मेरा पोस्ट कैसा लगा जरूर बतायें आपका अपना आर्यन चिराम [तुमेश कुमार चिराम]
0 टिप्पणियाँ