*इस कहानी को ध्यान से पढिये और समझिये*
एक बार एक गुरु अपने शिष्यों के साथ जा रहे थे. रास्ते में कुछ गड्ढे खुदे पड़े थे और उनके अंन्दर नर कंकाल पड़े थे. उनको देखकर गुरु के शिष्य ने पूछा, "गुरु, इन गड्ढों में ये नर कंकाल क्यों पड़े हैं." गुरु चुप रहे. फिर कुछ दूर चलने के बाद वहाँ पर भी गड्ढों में नर कंकाल पड़े मिले. गुरु के शिष्य ने फिर पूछा, "गुरु, इन गड्ढों में नर कंकाल क्यों पड़े हैं?" गुरु ने कहा, "इन लोगों को प्यास लगी थी, इन लोगों ने कुआँ खोदना चाहा, लेकिन ये लोग अलग-अलग कुआँ खोदने में लग गए और कुआँ खोदते-खोदते ही मर गए. न तो उनको पानी मिला, न ही इनकी प्यास बुझी और कुआँ खोदते खोदते मर गये. यदि ये लोग एक साथ मिलकर एक कुआँ खोदते तो कुआँ भी खुदता, शक्ति भी कम लगती, इनकी प्यास भी बुझती और ये जिंदा भी रहते."
👍👍💐💐👌 इसलिये सभी संघ को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए, अलग अलग संगठन बनाकर चलेंगे तो, वही होगा जो उपरोक्त कुआँ खोदने वालों का हुआ था।।💐💐आर्यन चिराम💐💐
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