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कांकेर के स्कूल शिक्षा के बारे में

उत्तर बस्तर (कांकेर) 06 नवम्बर 2016- छत्तीसगढ़ का एक सुदुर वनांचल जिला कांकेर।  चारो तरफ घनी पहाडीयांे के बीच प्राकृतिक मनोरम काया से पूर्णतः आच्छादित जिला मुख्यालय। अपने केन्द्र में सदियों से छिपाकर रखी खनिज सम्पदा ‘‘लौह अयस्क’’ का एक बड़ा भण्डार । भविष्य मे वर्षों तक फौलाद उत्पन्न करने के सुंदर सपने को साकार करने के लिए। आदिवासी अंचल के रूप में जानी जाने वाली कांकेर रियासत के अंतर्गत प्रकृति की धरोहर के रूप में स्थापित यहां के दुर्गम वन क्षेत्र मानो अपने किसी ऐसे नेतृत्व का इंतजार कर रहा था जो अपनी शिक्षा, ज्ञान, कौशल और दूरदृष्टिता से इस अंचल में विद्यमान लोहे के उत्खनन के साथ साथ शिक्षा की अलख जगाए। साथ ही प्रदेशके विकास में अपना योगदान देकर इस दुर्गम क्षेत्र की पताखा पूरे प्रदेश में फहरा दे। हुआ भी यही यहां की संवेदनशील, कुशल प्रशासक कलेक्टर श्रीमती शम्मी आबिदी ने ये अहसास किया कि बिना शिक्षा के जिले का समग्र विकास संभव नहीं है। उन्हें यहां के नवनिहालों की उन्नति और क्षेत्र के विकासकी चिंताएं सताने लगी तभी उन्होंने जिले के दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित हायर सेकेण्डरी स्कूलों में अंग्रेजी गणित जीवविज्ञान भौतिक विज्ञान एवं रसायन शस्त्र के शिक्षकों के कमी को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार ब्लैकबोर्ड टीचर काॅम्बीनेशन प्रणाली का उपयोग कर हिन्दी विडियो लेक्चर के माध्यम से विद्यार्थियों को अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, विषयों के शिक्षकों की कमी को मिटाने का प्रयास किया गया । और यह शुरूआत हुई प्रज्ञा विडियो लेक्चर प्रोग्राम से।इन विडियो लेक्चर को हार्डडिस्क एवं टीवी, कम्प्युटर, प्रोजेक्टर के माध्यम से चलाया जा सकता है। प्रज्ञा विडियो डेटाबेस में अंगेेरजी, गणित, भौतिक, रसायन, एवं जीवविज्ञान विषयों के कुल 1 हजार 332 विडियो का संग्रह जिसमें प्रत्येक विडियो 40-50 मिनट अवधि का है । जिले केजिन स्कूलांे में अंगेेरजी गणित भौतिक रसायन, एवं जीव विज्ञान विषयों के शिक्षकांे की कमी थी उन स्कूलों को स्थानीय निधि से टीव्ही एवं हार्डडिस्क क्रय करने का सुझाव दिया गया । इस प्रकार 115 हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल संस्थाओं में प्रज्ञा विडियो लेक्चर प्रोग्राम संचालित किए गए । प्रज्ञा विडियो लेक्चर प्रोग्राम को अपेक्षित सफलता मिली । माध्यम शिक्षा मण्डल रायपुर द्वारा आयोजित हाई स्कूल, हायर सेकेण्डरी स्कूल वर्ष 2015-16 के परीक्षा परिणाम में हाईस्कूल की परीक्षा में राज्य में प्रथम एवं हायर सेकेण्डरी परीक्षा में राज्य में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। जो निश्चित ही इस  अभिनव प्रयास के कारण संभव हो सका। राज्य गठन के पश्चात बीते 16 वर्षों में जिले में जहां वर्ष 2003 में प्राथमिक शालाओं की संख्या 1575 से बढ़कर वर्ष2016 में 1590, पूर्व माध्यमिक शालाएं 562 से बढ़कर 608, हाई स्कूल 60 से बढ़कर 103 व हायर सेकेण्डरी स्कूल 78 से बढ़कर 112 हो गए हैं वहीं शैक्षणिक संस्थाओं में दर्ज छात्रों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। प्राथमिक शालाओं मे ंजहां वर्ष 2003 में 66 हजार 796 छात्र अध्ययनरत थे वह बढ़कर 72 हजार 123, पूर्व माध्यमिकशाला में दर्ज विद्यार्थियों की संख्या 40 हजार 45 से बढ़कर 47 हजार 592, हाई स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 20 हजार 425 से बढ़कर 30 हजार 445 तथा हायर सेकेण्डरी स्कूलों में दर्ज संख्या 16 हजार 869 से बढ़कर 17 हजार 42 हो चुकी है। शैक्षणिक संस्थाओं का परीक्षा परिणाम जहां वर्ष 2003 में हाईस्कूल में 56.30प्रतिशत था वह 2016 में बढ़कर 67.87 प्रतिशत और हायर सेेकेण्डरी का वर्ष 2003 का परिणाम 65.40 से बढ़कर वर्ष2016 में बढ़कर 84.20 प्रतिशत हो गया है। जिले में स्थित हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलो में समयबद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए 01 जुलाई 2015 से ‘‘पहल मूल्यांकन’’ को प्रारंभ किया गया । स्कूल मूल्यांकन प्रणाली हेतु एक वेबसाईट बनाई गई है जिसके द्वारा छात्रों के मूल्यांकन में किए गए प्रदर्शन की मानिटरिंग की जाती है। इसके लिए जिले के समस्त हाईस्कूल, हायरसेकेण्डरी स्कूल के प्राचार्यों खण्ड शिक्षा अधिकारियों , खण्ड श्रोत समन्वयकों को प्रशिक्षित किया जा कर विद्यालयों में आयोजित होने वाली टेस्ट परीक्षा, त्रैमासिक अर्धवार्षिक परीक्षा में छात्रों के प्रदर्शनकी डाटा एंट्री विद्यालयों के द्वारा की जाती है और प्रत्येक स्कूल, प्रत्येक विद्यार्थी की पहल मूल्यांकन प्रणाली द्वारा मानिटरिंग की जाती है। प्रत्येक दो माह में जिला कलेक्टर द्वारा इसकी समीक्षा की जाती है। इसी प्रकार जिले में प्रोजेक्ट सेतु का संचालन किया जा रहा है। कांकेर जिले के हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूलों में प्रज्ञा विडियो के संचालन में यह ज्ञात हुआ कि 10वीं कक्षा के बच्चों को सामान्य गणीतिय प्रक्रिया तक करने में कठिनाई का सामना करना पड रहा है इस प्रकार प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक शालाओं के गणित की कक्षाओं का अवलोकन किया गया तो पाया गया कि प्राथमिक और माध्यमिक स्तर मंे गणित विषय का अध्यापन करने वाले कई शिक्षक कला संकाय के हैं तथा उनके द्वारा गणित विषय का अध्यापन कार्य किया जा रहा है। जिसका प्रभाव बच्चों के गणीतीय कौशल पर पड रहा है। बच्चे गणित के मुख्य कौशल जैसे तर्क करना, और सीखे गए गणीतीय कौशल का अपने दैनिक जीवन में उपयोग नहीं कर पा रहेहैं और यही उनकी शैक्षणिक समस्या आगे की कक्षाओं में एक चुनौती बन रही है। इसका हल निकालने हेतु जिले में प्रोजक्ट सेतु का संचालन किया जा रहा है और जिसके बेहतर अपेक्षित परिणाम सामने आए है इसके अलावा ‘‘मोबाईल साईंस लैब’’ वेन एक नवीन पहल है जो विज्ञान प्रयोग शालाओं को चलित वाहन द्वारा बच्चों के वैज्ञानिक प्रयोग संबंधी जिज्ञासाओं को दूर करने का प्रयास कर रही है। जिले के अंदरूनी एवं पिछडे हुए क्षेत्रों में अध्ययनरत बच्चों को वैज्ञानिक प्रयोग में कुशल बनाकर उनके सपने साकार करने में मोबाईल साईंस लैब एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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