धुडमारास धुर्वा डेरा: वैश्विक पर्यटन की नई पहचान
बस्तर का धुडमारास धुर्वा डेरा अब सिर्फ स्थानीय पर्यटन स्थल नहीं रहा, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी प्राप्त हो चुकी है। संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) द्वारा इसे 60 देशों के 20 सर्वश्रेष्ठ ग्रामीण पर्यटन स्थलों में शामिल किया जाना, इसकी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रमाण है। यह स्थान देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है और क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
1. विदेशी और देशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र
धुडमारास धुर्वा डेरा की अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता, रोमांचक बैम्बू राफ्टिंग और जनजातीय संस्कृति इसे पर्यटकों के लिए विशेष बनाती है।
विदेशी पर्यटक: यूरोप, अमेरिका और अन्य देशों से सस्टेनेबल और इको-टूरिज्म की बढ़ती मांग के चलते यह स्थान लोकप्रिय हो रहा है। विदेशी पर्यटक यहाँ की प्राकृतिक हरियाली, शांत वातावरण और अनूठी बैम्बू राफ्टिंग का अनुभव लेने आते हैं।
देश के विभिन्न कोनों से पर्यटक: भारत के विभिन्न राज्यों से एडवेंचर लवर्स, प्रकृति प्रेमी और संस्कृति को समझने वाले लोग यहाँ आ रहे हैं। ख़ासकर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत से बड़ी संख्या में लोग पिकनिक और ट्रेकिंग के लिए यहाँ आते हैं।
2. पर्यटन से रोजगार और आर्थिक अवसर
इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर खुल रहे हैं।
होमस्टे और होटल व्यवसाय: पर्यटकों की संख्या बढ़ने से स्थानीय परिवारों द्वारा होमस्टे संचालन का व्यवसाय फल-फूल रहा है, जिससे उनकी आमदनी बढ़ रही है।
पर्यटन गाइड और ट्रेकिंग विशेषज्ञ: स्थानीय युवाओं को गाइड और ट्रेकिंग ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे उन्हें बेहतर रोजगार के अवसर मिल रहे हैं।
हस्तशिल्प और कला: बस्तर की पारंपरिक धातु शिल्प, बांस कला और लकड़ी की मूर्तियाँ अब एक बड़ा बाज़ार हासिल कर रही हैं, जिससे शिल्पकारों की आय में वृद्धि हो रही है।
खानपान और परिवहन सेवाएँ: पर्यटकों के बढ़ने से स्थानीय भोजनालयों और टैक्सी सेवाओं की मांग भी बढ़ रही है, जिससे सैकड़ों लोगों को आजीविका मिल रही है।
3. क्षेत्रीय बुनियादी ढांचे का विकास
पर्यटन के विस्तार से सड़क, बिजली, इंटरनेट और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हो रहा है। सरकार और निजी निवेशकों की रुचि बढ़ने से इस क्षेत्र को बेहतर सुविधाएँ मिलने की संभावना है, जिससे आने वाले वर्षों में यह एक प्रमुख पर्यटन केंद्र बन सकता है।
4. सांस्कृतिक संवर्धन और स्थानीय पहचान का उभरना
धुडमारास धुर्वा डेरा के बढ़ते पर्यटन से बस्तर की जनजातीय संस्कृति, लोककला और पारंपरिक त्योहारों को नई पहचान मिल रही है।
विदेशी पर्यटक यहाँ के आदिवासी जीवन, लोकनृत्य (गोंडी नृत्य) और संगीत को काफ़ी पसंद कर रहे हैं।
स्थानीय कारीगरों और कलाकारों को अपने शिल्प को प्रदर्शित करने और बेचने का एक नया मंच मिल रहा है।
5. पर्यावरण संरक्षण और सतत पर्यटन
धुडमारास धुर्वा डेरा में पर्यटन को इस तरह बढ़ावा दिया जा रहा है कि यह प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखे।
इको-फ्रेंडली टूरिज्म: बैम्बू राफ्टिंग जैसी पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों को प्राथमिकता दी जा रही है।
प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र: पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्लास्टिक का उपयोग सीमित किया जा रहा है।
वन्यजीव संरक्षण: स्थानीय समुदायों को वन्यजीवों और पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
6. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ और बस्तर की ब्रांडिंग
संयुक्त राष्ट्र की मान्यता के बाद धुडमारास धुर्वा डेरा की ग्लोबल ब्रांडिंग हो रही है, जिससे:
छत्तीसगढ़ को एक प्रमुख पर्यटन राज्य के रूप में पहचान मिल रही है।
बस्तर का पर्यटन अन्य क्षेत्रों (जैसे चित्रकूट जलप्रपात, तीरथगढ़, कुटुमसर गुफा) को भी बढ़ावा देगा।
विदेशी निवेश और सरकार की सहायता से इस क्षेत्र में पर्यटन संबंधी नए प्रोजेक्ट शुरू हो सकते हैं।
निष्कर्ष
धुडमारास धुर्वा डेरा न केवल बस्तर बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए आर्थिक, सांस्कृतिक और पारिस्थितिकीय रूप से महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बनकर उभर रहा है। रोजगार, स्थानीय संस्कृति, पर्यावरण संरक्षण और क्षेत्रीय विकास में इसके सकारात्मक प्रभाव दिखने लगे हैं। यदि इसे योजनाबद्ध तरीके से विकसित किया जाए, तो यह भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में अपनी खास जगह बना सकता है और विदेशी पर्यटकों के लिए एक आदर्श गंतव्य बन सकता है।