नमस्कार दोस्तों आप सभी का एक बार फिर स्वागत है मेरे blog में मै हूँ आर्यन चिराम और आज आप लोगों को एक ऐसा जगह की सैर करवाने वाला हूँ जो पुरातात्विक और ऐतिहासिक रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण है चूंकि यह स्थल हमारे आस पास है इसलिए यह जानना हमारे लिए जरुरी हो जाता है की वास्तव में उस स्थल पर ऐसा क्या था या रहा होगा यह सब विचारणीय प्रश्न है जो की मेरे मन के साथ साथ आपके मन में भी चल रहा होगा! यह स्थल मेरे गांव के बहुत ही करीब होते हुए भी मेरा यह जाना नही हो पाया था हाँ सूना जरुर था दोस्तों के मुँह से और नेट के माध्यम से की उद्कुडा में एलियन चित्र है करके इस पर मेरा लेख पहले भी आ चुका है उस लेख का टाइटल था एलियन का पडोसी मेरा गांव जी हाँ दोस्तों पास होते हुए भी मेरा जाना नही हो पाया था मै बहुत दिनों से विचार कर रहा था पर समय अभाव के चलते नही जा पा रहा था आज समय के साथ ऐसा सामंजस्य हुआ की आज हम उड़कूड़ा के उस आदिम चित्र गुफा के पड़ताल में निकल पड़े यह चारामा ब्लाक के अंतिम छोर पर बसा है इसके बाद एक गाव और आता है मैंनपुर उसके बाद कांकेर ब्लाक लग जाता है यंहा कैसे पहुंचे ? चारामा से कांकेर मेन रोड में आएगा लखनपुरी से दक्षिण पश्चिम दिशा में एक रोड जाता है जिसे मैंनपुर उड्कुड़ा रोड के नाम से जाने जाता है लखनपुरी से लगभग 7-8 किलोमीटर की दुरी पर उड़कूड़ा गाँव मिल जायेगा यंहा आकर आप पूछ भी सकते है की पत्थर पर चित्र वाला रास्ता कौन सा है करके? खैर आप जब आयेंगे तब आयेंगे हम लोग आकर क्या देखे बताते है हमे यंहा आकर देखने को मिला की यंहा सौदर्यीकरण के नाम पर केवल कुछ सीडियां बनी हुई है और तल में दो बिल्डिंग बनी हुई है जो देख रेख के अभाव में जर्जर हो रही है और आप तो जानते ही है जंहा भी प्राकृतिक रूप से या ऐतिहासिक रूप से या पुरातात्विक रूप से कुछ भी मिलता है तो वंहा क्या होता है सोचो सोचो वंहा हमारे लोग मंदिर बना देते है बस यही हाल यंहा भी है,,,,,,,,यहाँ भी एक मंदिर बना दिया गया है व्यास ऋषि खैर यह तो अभी अभी बना है हम जिस कार्य से आये है चलो उसके बारे में चर्चा करते है यहा आकर अवलोकन करने से ऐसा प्रतीत होता है की पाषण काल के समय या जब आदिमानव गुफाओं में रहते थे उस समय यहाँ भी आदिमानव निवास करते रहे होंगे क्योकि यंहा उनके अनुकूल वातावरण व रहने लायक कई कन्दरा गुफा बाना हुआ है देखने से स्पष्ट नजर आता है कभी न कभी यंहा एक कबीला लगभग 50-60 लोग इकठ्ठा यंहा निवास करते रहे होंगे क्योकि आदिमानव जंहा भी निवास करते थे या जिस क्षेत्र में उनका आना जाना रहता था वंहा उनका शैल चित्र या अन्य कुछ कुछ सबूत जरुर मिलता है यंहा भी उनके द्वारा बनाया गया कई सूचनात्मक शैल चित्र बनाया गया था जो संरक्षित नही किये जाने की वजह से विलुप्त हो रहे है व एक पत्थर के कुंड में साल भर पानी रहता है
जो की एक योनी आकृति की है आस पास के लोगों से जानकारी मिली है की यंहा पुन्नी मेला लगता है साथ ही कृष्णा जन्माष्टमी में भी कांफी भिंड होता है करके ....,,,,,,,, अगर भविष्य में इसको संरक्षित नही किया गया तो है से था होने में बिलकुल भी वक्त नही लगता वैसे भी वक्त के थपेड़ो ने इनके कई भागों को निगल लिया है जो कुछ बचा है वह भी वक्त के साथ चला जायेगा शासन प्रशासन को चाहिए की इनके संरक्षण के प्रति ध्यान थोड़ा ध्यान देवें ,,,यंहा जो चित्रों के माध्यम से हमारे अतीतई(पूर्वज) हमे जो भी संदेश देने की कोशिश किये उसे समझने के लिए उन शैल चित्रों का होना अतिअवाश्य्क है अन्यथा वह मैसेज हम जानेंगे कैसे ,,,,हम लोगों ने जो अनुभव किये वह सब तो आप लोगों से शेयर कर ही चुके है और हम भी कोई अर्कोलाजिस्ट तो है नही इसलिए हम शैल चित्र आप लोगो के साथ साझा कर रहे है आप लोग बताये की हमारे पूर्वज हमे क्या सन्देश देना चाह रहे है
कई वैज्ञानिको का मानना है की यह चित्र आज से लगभग 10000 साल पुराना है और इसमें वे एलियन के होने से सम्बंधित जानकारी साझा करने की कोशिश कर रहे है ऐसा उनका मानना है आप लोगों का क्या मानना है कृपा कर कमेंट में अपना आय रखें इस blog में प्रयोग किया गया कुछ फोटो पुराना है जिसमे चित्र स्पष्ट दिखाई पढ़ रहा है जिसमे चित्र स्पष्ट नही आ रहा है वह फोटो वर्त्तमान का है क्योकि यह चित्र धीरे धीरे विलुप्त होते जा रहे है आप लोग भी कभी हो आइये इस पुरातात्विक स्थल से आज के लिए बस इतना ही फिर कभी मिलेंगे नए जगह नए जानकारी के साथ आपका अपना आर्यन

सर्च कीवर्ड उड़कूड़ा, शैलचित्र, कांकेर, छत्तीसगढ़, प्रागैतिहासिक, रॉकआर्ट, पुरातत्व, दंडकारण्य, जनजाति, इतिहास, संरक्षण, शिकार, पशुचित्र, गुफाकला, एलियंस Udkuda, Rockart, Kanker, Chhattisgarh, Prehistoric, Paintings, Archaeology, Dandakaranya, Tribal, History, Conservation, Hunting, Animalart, Caveart, Aliens
Bahuut hi sunder Aur mahatv purn jankari hai bhai
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