दोस्तो नमस्कार आज हम आपको जिस जगह ले जाने वाले है वह कांकेर जिला के लास्ट बॉर्डर पर है और यह जल प्रपात कांकेर मुख्यालय से लगभग 118 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम दक्षिण दिशा में स्थित है और यह भानु से नारायणपुर मार्ग पर स्थित है भानुप्रतापपुर से लगभग 60 किलोमीटर और और अंतागढ़ से मात्र 30-35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है दक्षिण दिशा में नारायणपुर रोड से अंतर लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर है यंहा पहुँचने का दो मार्ग है एक मार्ग बरसात में बंद हो जाता है जो कोलर से होते हुए बइहासाल्हेभाट होते हुए फुलपाड़ जाता है यह मार्ग कांफी शार्टकट है मुख्यमार्ग से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर वही दूसरा रास्ता कांफी लम्बा लगता है जो crpf कैम्प से होकर राइट साइड कट कर जाता है यह क्षेत्र कांफी संवेदनशील क्षेत्र है इसलिए बहुत सारी bsf or crpf कैम्प मिल जाएंगे चुकी यह रावघाट परियोजना जो अभी शुरू होने वाला है उससे कांफी लगा हुआ है यह जलप्रपात जाने के लिए फुलपाड़ गांव से थोड़ा आगे जाकर एक सौर ऊर्जा योजना से बना नल के लेफ्ट साइड एक कच्ची सड़क निकली हुई है जो पहाड़ के समीप तक आपको लेकर जाएगी फिर वँहा से पैदल लगभग 1 से 1.50 किलोमीटर पैदल पहाड़ चढ़ना पड़ेगा जंहा कुछ खड़ी चढ़ाई तो कंही समतल चढ़ाई मिलेगी और अंततः अपार शिलाखंड मिलेगा जंहा से होकर झरना निरंतर गीर रही है यहां आस पास के पत्थर देखोगे तो लोह की मात्रा स्पष्ट खुली आंखों से भी दृष्टिगोचर हो पाएंगी और जिसे आप उत्सुकतावस अनायास ही उठाने से खुद को नही रोकोगे की इसका वजन कितना है भले ही आप एक्ज़ेक्ट भार न बता पाओ पर टुपका जरूर लगाओगे खैर, अपने साथ एकात गाइड जरूर ले जाए तो ठीक होगा नही तो आधे अधूरे रास्ते से न लौटना पड़े , इस जलप्रपात के पीछे मान्यता है की इस जलप्रपात में अगर कोई बहुत गंभीर बीमारी से ग्रस्त आदमी आता है तो यह जलप्रपात का जलधारा उस व्यक्ति पर नही गिर पाता थोड़ा दूर हो जाता है करके यह बात कितनी हकीकत है या फसाना आप लोगो पर छोड़ता हूँ और मान्यता यह भी है की यह देव स्थल है यहां मनोकामना पूरा होता है जो भी मनोकामना मांगी जाय, यंहा एक प्राचीन शिवलिंग है जो बहुत ही पुराना है कहा जाता है पर उनका सही सही वर्षों में बता पाना सम्भव नही है बोला गया,, ऐसी जनमान्यता है यहां एक जलप्रपात के नीचे ही एक गुफा है जो कांफी अंदर तक जाता है और यंहा अभी वर्तमान में अन्य शिवलिंग भी लोगों द्वारा स्थापित किया गया है व कुछ त्रिशूल व अन्य मूर्तियां भी स्थापित किया गया है , यंहा शिवरात्रि में बहुत भीड़ होता है आस पास के क्षेत्र वालो का हुजूम उमड़ता है साथ ही बाहर से भी दार्शनिक दर्शन के लिए आते है बताया गया व एक दो वर्ष पहले पुरातत्व विभाग वाले इस जलप्रपात के अन्वेषण के लिए आये थे बताया गया अगर आप प्राकृतिक प्रेमी है तो एक बार जरूर हो आये यह जलप्रपात का नाम वँहा के गांव के नाम से पढा है फुलपाड़ व अब शिवरात्रि में मेले जैसा माहौल हो जाता है इसलिए इसको महादेव घाट के नाम से भी जाना जाता है
आज के लिए बस इतना ही अगली बार नए जगह के साथ फिर मिलेंगे तब तक के लिए जय माँ दन्तेश्वरी जय जोहार
आपका अपना
आर्यन चिराम
जलप्रपात का वीडियो
इस लिंक से देख सकते है
0 टिप्पणियाँ