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हाहालद्दी की सैर आर्यन चिराम [मेरा यात्रा-6] hahaladdi ki sair aaryan chiram [mera yatra-6]


नमस्कार दोस्तों आज आप लोगों को लेकर जा रहा हूँ आस्था की नगरी में जिसका नाम है हाहालद्दी
*हाहालद्दी*-कैसे पहुचे:-
 भानुप्रतापपुर से 20 km दूर दुर्गुकोंदल से मात्र 4 km की दुरी पर पखांजूर मार्ग में स्थित हाहालद्दी में बंजारी
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 माता का मंदिर स्थित है। और उसके सामने की पहाड़ी में भी मंदिर स्थित है। जहाँ पहुचने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है। जंहा से उपर पहाड़ पर चढ़ कर माता की दर्शन कर सकते है कहा जाता है की जो भी मन्नते मांगते है पूरी होती है, एक किवदंती के अनुसार माता हिंगलाजिन अपने वाहन पर सवार होकर उस मार्ग से गुजर रही थी तभी माता जी का वाहन वंहा फंस गया जिसे देखकर सभी देवता माता जी का उपहास करने हस पढ़े जिससे रुष्ट होकर माता वही में विराज मान हो गई कालांतर में उसी स्थान का नाम हाहालद्दी हुआ ऐसा हरिभूमि चौपाल पेपर में दिया गया था 
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वही एक अन्य किवदंती के अनुसार ग्राम हाहालद्दी में प्राचीन समय में माता हिंग्लाजीन नाराज हो गई और बाघिन का रुप धर गांवों में आतंक मचाने लगी और मवेशियों को अपना शिकार बनाने लगी। जिससे क्षेत्र के लोगों में दहशत व्याप्त हो गया। गांव के लोगों ने इससे निजात पाने परंहदेव के पास जाकर समस्या बताई और निजात दिलाने की मन्नतें कीं। परंहदेव ने जानकारी दी कि देवी हिंग्लाजीन को एक सकरी के रूप में बाहर निकाला गया। पल्लामारी में इसे ले जाकर ग्रामीणों ने विचार किया कि यह जीवकसा की बंजर भूमि में पाया गया इसलिए इसे माता बंजारी देवी के नाम से स्थापित करने का निर्णय लिया। घास फूस का एक झोपड़ीनुमा मंदिर बनाकर संकल हिंग्लाजीन और माता बाफी के घोड़े की प्रतिमा स्थापित की गई। इसे माता बंजारी देवी के नाम दिया गया।इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली है।

 जन श्रुति के अनुसार वहीं इस क्षेत्र में बांस अधिक पाया जाता था। इस झोपड़ीनुमा मंदिर के पास ठेकेदार चंपालाल के ड्राइवर लाला संसार का वाहन बांस परिवहन करते समय रोज सूखी जमीन पर वाहन के चारों पहिए धंस जाते थे। इसके चलते बंजारी देवी मंदिर का निर्माण सन्‌ 1972 में ईटों से कराया गया। गांव के गायता बोधीराम तुलारी, चेतन प्रसाद पाठक ने आदिशक्ति बंजारी देवी की मूर्ति स्थापना कर प्राण प्रतिष्ठा की।चैत्र नवरात्रि सन 1993 में पहली बार मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित की गई। वह भी गुप्त रूप से तीन महादेवियों के नाम से मंदिर समिति द्वारा जलाया गया। मंदिर समिति, भक्तों, ग्रामीणों की सहमति से हाहालद्दी स्थित सुमेरु पर्वत में 24 मई 2004 को आदिशक्ति पहाड़ावाली बंजारी देवी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की गई।। माता बंजारी देवी के साथ यहां भगवान शिव जी की प्रतिमा स्थापित की गई है। कमकापाठ, पाताल गंगा, मावली माता मंदिर की भी स्थापना है।। जिले के अलावा अन्य राज्यों से लोग ज्योत प्रज्ज्वलित करते हैं। इसमें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, बिहार, उतरप्रदेश, झारखंड, दिल्ली, उतराखंड, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश सहित अन्य प्रदेश के माता के श्रद्घा ज्योत प्रज्ज्वलित करते हैं।
यह पहाड़ भी लोह खनिज सम्पदा से परिपूर्ण अपने आप में अद्वितीय सौंदर्य लिए हुए है।साथ ही यंहा माईनस बनाने के लिए सरकार घोषणा भी कर चुकी थी पर गाँव वालो के आपत्ति के चलते यंहा माईनस नही खुल पाया अब भविष्य में पता नही क्या होगा खुल पायेगा या नही वैसे आस्था के चलते यंहा लोगों में कांफी प्रसिद्धि प्राप्त कर चुके माँ बंजारी पर क्षेत्र वासियों का विश्वास कांफी मजबूत है ,आज के लिए बस इतना अगला लेख फिर किसी नये जगह से वाकिफ करवाऊंगा
आपका अपना आर्यन चिराम 
[ यह लेख मेरे बहन छोटी(मनीषा भुआर्य) को सादर प्रेषित है माँ दंतेश्वरी उनकी आत्मा को शांति दे]

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