दोस्तो आज आपको लेकर जा रहा हुं।
उस जगह का नाम है। मलांजकुडुम जी हां आपने अगर कांकेर आकर मलांजकुडुम नही गये तो खाक कांकेर घुमें, दोस्तो मलांजकुडुम दुध नदी में बहुत ही सुन्दर जलप्रपात बनाता है।
जो एक पुरी पहाड़ को काटकर नीचे गीरती है। तथा कई खंड़ में बंटती हुई नीचे आती है। इसकी सुन्दरता देखते ही बनती है। मलांजकुडुम जलप्रपात का पानी जब नीचे गिरती है। तो उसका आवाज आस पास के शांति को भंगकर बहुत दुर तक कलकल की आवाज सुनाई पड़ता है।मानो कोई आदमी किसी चीज को बहुत जोर जोर से उठा—उठाकर पटक रहा हो। मलांजकुडुम जलप्रपात की झांकी राज्योत्सव में लगाई जाती है। यह जल प्रपात बहुत ही सुन्दर प्रकृति का अनोखा और सुरम्य जलप्रपात है। आस—पास के गांव के बच्चे शैक्षणिक भ्रमण मे यहां आते हैं। और जलप्रपात की मनोरम दृश्य का लुप्त उठाते है। और कई प्रकृतिक प्रेमी जलप्रपात मे जल क्रीड़ा करते है। और जल क्रीड़ा का आनंन्द लेते है। जल में बारिस समय स्नान करना खतरनाक शाबित हो सकता है। इसलिए बरसात में यहा कोई नही नहाते,जब पानी कम बहता है।यह जलप्रपात मे एक लक्ष्मण झुला बनने वाला था जिसका काम लगभग 9 वर्ष पहले शुरू हुआ था।किन्तु आज भी आधी अधुरी ही बन पाया है। तब ही यहां जल क्रीड़ा का मजे लिया जा सकता है। वैसे तो सैलानी हर महिना मलांजकुडुम जलप्रपात का आनंन्द लेने आते है। पर सबसे ज्यादा भीड़ जुलाई अगस्त सितम्बर और अक्टूबर में होता है। और कुछ विशेष दिनो में भी बहुत भीड़ होता है।जैसे 15 अगस्त, महाशिवरात्री, दुर्गापक्ष, जन्माष्टमी,14 फरवरी आदि को यहां बहुत भीड़ देखने को मिलता है।मलन्झकुडुम झरना कांकेर से 15 किमी की दूरी पर स्थित हैं। पर्वत पर स्थित जहां से दुध नदी का उद्गम हुआ है। वह स्थान बहुत ही सुदुरसंवेदनशील क्षेत्र के अन्तर्गत आता है। खडका गांव,नीलेगोन्दी नामक स्थान से दूध नदी निकलती है। 15 किमी की दूरी पर मलन्झकुडुम नामक स्थान पर इस नदी से क्रमशः 10, 15 तथा 9 मीटर की ऊँचाई के झरने बनते हैं। झरने में पानी का गिरना सीढ़ी के आकार में है। यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है।यहां पहाड़ी पर स्थित एक कुंड से नीचे गिरती जलधारा अलौकिक दृश्य पैदा करती है। साफ-सुथरा जल नीचे गिरते समय दूधिया धारा का अहसास कराता है अब वहां जाने के लिए आप बहुत उत्साहित हो रहें होगें।आप जरूर वहां पिकनिक मनाने छुट्टीयों में जाना चाहेंगे। जरूर वहां जायें और मलांजकुडुम जलप्रपात के अदभुत दृश्य का भरपुर आनंन्द उठाईये......
..पर थोड़ा सावधानी के साथ क्योकि इस जलप्रपात के आस पास कई बार अनहोनी घटना घट चुका है। तो थोड़ा सावधानी भी बरतीयेगा।वहां कैसे पहुंचे ?वहां दो रास्ता जाता है। 1 गढपिछवाडी रास्ते से जा सकते है। और दुसरा कांकेर मस्जिद चौक से रास्ता जाता है। भंडारी पारा वाला उसी रास्ते से आप मलांजकुडुम जल प्रपात पहुच सकते है। गढपिछवाडी और मस्जिद चौक वाला रास्ता इच्छापुर गांव में जाकर मिलते है।फिर उसी मुख्य मार्ग को पकड़ के जायेगें तो लगभग 10 किलोमीटर के बाद आपको मलांजकुडुम जलप्रपात मिल जायेगा। मलांजकुडुम जल प्रपात मार्ग से लगभग 700 मीटर की दुरी पर बायां साइड है। जो घाटी से पहले एक कच्ची सड़क है। वही मार्ग आपको जलप्रपात तक पहुंचायेगा।यह जलप्रपात कांकेर से 15 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम दिशा में है। जलप्रपात पहुचाने वाला रास्ता का कंडिसन बहुत ही बुरा है। शायद जब इसे पर्यटन स्थल के रूप मे विकसित किया जायें तब ही यह रास्ता बन पायें एैसा मेरा अनुमान है। और यह सड़क आमाबेडा को मुख्यालय से जोडने वाला 1 मात्र रास्ता है। घाटी के उपर निवास करने वाली लगभग 4 लाख जनता इसी मार्ग से कांकेर मुख्यालय आना जाना करती है। लेकिन आज तक इस मार्ग को बनाने का सुध किसी ने नही लिया है।पता नही कब सुधरेगा। यह सड़क शायद कोई चमत्कार की प्रतिक्षा कर रहा है।यह सडक इस मार्ग से 2 और पर्यटक स्थल सेमल गांव और चर्रे मर्रे घाटी पहुंचा जा सकता है।
आज की जानकारी बस इतना ही आगे और मिलेगे नया स्थान नया जानकारी के साथ जय मां दन्तेश्वरी
आपका अपना
आर्यन चिराम
https://halba-halbi-samaj.blogspot.in/
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