चंदेली गांव के रहस्यमयी शैलचित्र: आदिवासियों के पूर्वजों का दस्तख़त
भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में स्थित कांकेर जिले का चंदेली गांव हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में रहा है। इसका कारण यहां पाए जाने वाले प्रागैतिहासिक शैलचित्र हैं, जिनमें उड़नतश्तरी (UFO) और एलियन जैसी आकृतियाँ उकेरी गई हैं। वैज्ञानिकों और इतिहासकारों के लिए ये चित्र एक रहस्य बने हुए हैं। कुछ विशेषज्ञ इन्हें प्राचीन आदिवासी कल्पनाओं का परिणाम मानते हैं, जबकि अन्य का मानना है कि ये किसी प्राचीन अंतरिक्षीय संपर्क (Ancient Alien Contact) का प्रमाण हो सकते हैं।
यह लेख चंदेली गांव के शैलचित्रों, उनके ऐतिहासिक महत्व, वैज्ञानिक शोध, और UFO से संबंधित सिद्धांतों पर विस्तार से प्रकाश डालता है।
चंदेली गांव: एक पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक धरोहर
चंदेली गांव छत्तीसगढ़ के चारामा क्षेत्र में स्थित है, जो अपने प्राचीन शैलचित्रों के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र घने जंगलों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जहां हजारों वर्षों से आदिवासी समुदाय निवास करते आए हैं। यहां मौजूद शैलचित्रों को लेकर भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) और कई अन्य वैज्ञानिक संस्थान शोध कर रहे हैं।
प्रमुख विशेषताएँ:
इन शैलचित्रों की अनुमानित उम्र 10,000 वर्ष (8000 ईसा पूर्व) बताई जाती है।
चित्रों में इंसान जैसी आकृतियाँ और गोलाकार उड़ने वाली वस्तुएँ (UFO जैसी) उकेरी गई हैं।
कुछ आकृतियाँ ऐसे प्राणियों की हैं जो सामान्य इंसानों से अलग दिखते हैं, जैसे लंबा सिर, बड़े आंखें, पतले शरीर आदि।
कुछ चित्रों में त्रिपादीय वाहन (तीन पैरों वाले यंत्र) और अजीबोगरीब परिधानों में लोग नजर आते हैं।
कुछ स्थानीय लोग मानते हैं कि यह "रोहेला" देवताओं का चित्रण है, जो आकाश से आए थे।
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शैलचित्रों में उड़नतश्तरी और एलियंस की संभावनाएं
चंदेली के चित्रों को ध्यान से देखने पर इनमें कई ऐसी बातें सामने आती हैं, जो UFO और एलियन से जुड़ी अवधारणाओं को जन्म देती हैं।
गोलाकार उड़ने वाली वस्तुएँ:
कई चित्रों में उड़नतश्तरी (Flying Saucer) जैसी आकृतियाँ बनी हुई हैं। ये आधुनिक UFO के चित्रों से मिलती-जुलती हैं, जिनका उल्लेख दुनियाभर में देखा जाता है।
अलग आकार के प्राणी:
कुछ चित्रों में सामान्य मनुष्यों से अलग दिखने वाले प्राणी उकेरे गए हैं।
इनके सिर बड़े और आंखें विशाल हैं, जो कि एलियन (Greys) की आधुनिक परिकल्पनाओं से मेल खाते हैं।
कुछ आकृतियाँ ऐसे जीवों की हैं, जिनके चार या अधिक हाथ-पैर नजर आते हैं।
तीन पैरों वाले यान:
शैलचित्रों में कुछ ऐसे यंत्रों को दर्शाया गया है, जिनके तीन पैर हैं और ऐसा लगता है जैसे वे उड़कर नीचे उतर रहे हैं।
ये आकृतियाँ आधुनिक अंतरिक्ष यान (Spacecraft) के लैंडिंग गियर जैसी दिखती हैं।
हथियार या संचार उपकरण:
कुछ चित्रों में अजीब आकृतियों वाले यंत्र हाथ में पकड़े हुए प्राणी दिखाए गए हैं।
यह संभवतः हथियार, संचार यंत्र या अन्य तकनीकी उपकरण हो सकते हैं।
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वैज्ञानिक दृष्टिकोण और शोध
इन चित्रों की खोज के बाद कई वैज्ञानिक और शोधकर्ता इस क्षेत्र में आए और उन्होंने अपनी परिकल्पनाएँ दीं।
भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) का मत
भारतीय पुरातत्व विभाग ने इन चित्रों का अध्ययन किया और माना कि यह आदिवासी जीवनशैली और उनकी धार्मिक मान्यताओं का चित्रण हो सकता है। कुछ विशेषज्ञ इसे शिकार और अनुष्ठानिक कला का हिस्सा मानते हैं।
नासा और इसरो की रुचि
इन चित्रों की असाधारण विशेषताओं को देखकर नासा और इसरो के वैज्ञानिकों ने भी इस क्षेत्र में अध्ययन करने की इच्छा जताई है।
हालांकि, अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले हैं कि ये सच में एलियंस या UFO से संबंधित हैं।
वैज्ञानिकों के तर्क
कुछ शोधकर्ता मानते हैं कि यह केवल मानव कल्पना का परिणाम है, जो प्राचीन मानवों ने आसमान में दिखने वाले चमकीले ग्रहों, उल्कापिंडों या अन्य घटनाओं को देखकर बनाया होगा।
कुछ वैज्ञानिक इसे शामानिक परंपराओं से जोड़ते हैं, जहां आध्यात्मिक या दिव्य अनुभवों को चित्रों के माध्यम से व्यक्त किया जाता था।
स्थानीय मान्यताएँ और लोककथाएँ
चंदेली गांव के कुछ बुजुर्गों और स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह क्षेत्र प्राचीन काल में आकाशीय देवताओं (अलौकिक प्राणियों) के संपर्क में रहा है।
लोककथाएँ:
एक मान्यता के अनुसार, "रोहेला" देवता उड़ने वाले यंत्रों में बैठकर आते थे और गांववालों से संवाद करते थे।
कुछ लोग कहते हैं कि उनके पूर्वजों को अजीबोगरीब चमकीली रोशनी और तेज आवाजें सुनाई देती थीं, जो इन देवताओं की उपस्थिति का संकेत थीं।
कई बार गांव के लोगों ने रात में अजीब रोशनियाँ और रहस्यमयी आवाजें सुनी हैं, जिससे उन्हें विश्वास है कि कुछ अलौकिक शक्तियाँ अब भी इस क्षेत्र में मौजूद हैं।
क्या यह एलियंस का प्रमाण हो सकता है?
अगर देखा जाए, तो चंदेली गांव की शैलचित्रों में एलियंस और UFO जैसी आकृतियाँ देखे जाने के बाद दुनिया भर में यह चर्चा का विषय बन गया है।
अन्य समान उदाहरण:
फ्रांस और अफ्रीका की गुफाओं में भी ऐसे शैलचित्र मिले हैं, जिनमें एलियंस जैसी आकृतियाँ बनी हुई हैं।
मिस्र और मेसोपोटामिया की प्राचीन सभ्यताओं में भी उड़नतश्तरियों जैसी संरचनाओं का वर्णन मिलता है।
नाज़्का लाइन्स (Nazca Lines), पेरू: ये विशाल भू-चित्र (Geoglyphs) भी अंतरिक्षीय संपर्क का प्रमाण माने जाते हैं।
संभावित सिद्धांत:
1. एलियंस का पृथ्वी पर आगमन: कुछ लोग मानते हैं कि प्राचीन काल में एलियंस पृथ्वी पर आए थे और उन्होंने यहां के लोगों से संपर्क किया था।
2. भविष्य के मानव: कुछ वैज्ञानिक इसे Time Travel Theory से जोड़ते हैं, जिसमें यह संभावना जताई जाती है कि यह हमारे ही भविष्य के लोग हो सकते हैं।
3. आदिमानवों की कल्पना: वैज्ञानिकों का एक वर्ग इसे मानव कल्पना का परिणाम मानता है, जो उस समय की प्राकृतिक घटनाओं और मान्यताओं पर आधारित था।
4. जैसा कि मैंने खुद उस स्थान की दौरा किया है तो मैंने तात्कालिक परिदृश्य और आस-पास के वातावरण के अवलोकन से यह पाया कि यह हमारे पूर्वजों की उन्नत विचार और भविष्य को देखते हुए उनकी कल्पना होगी क्योकि यह प्रागेतिहासिक समय का आदिवासियों का विचरण और निवास क्षेत्र रहा है क्योंकि इस क्षेत्र में आदिवासियों का प्रवजन रहा है अगर अच्छे से खोज बीन करें तो और कईयों इनके सबूत मिल जाएंगे यंहा की शैलचित्र भी उडकुड़ा, गोटीटोला, गांडा गौरी, और खैरखेड़ा के समकालिक है इससे यह स्पष्ट है कि यह की यह शैलचित्र आदिवासियों के द्वारा ही बनाया गया है परंतु यह स्पष्ट नही है कि क्या ऐसे देखे की उड़नतश्तरी जैसा चित्र बनाये या उनकी क्या मनोदशा रही होगी यह सब राज समय के साथ दर परत दर खुलती जाएगी
निष्कर्ष
चंदेली गांव के शैलचित्र अभी भी शोध और अध्ययन का विषय बने हुए हैं। इनका सही अर्थ क्या है, यह अब भी अनसुलझा है। जहां एक ओर यह एलियंस और UFO जैसी धारणाओं को बल देते हैं, वहीं दूसरी ओर यह आदिवासी संस्कृति और मान्यताओं का भी महत्वपूर्ण प्रमाण हैं।
भविष्य में जब विज्ञान और तकनीक और उन्नत होगी, तब शायद इन रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा। तब तक के लिए चंदेली के शैलचित्र मानव सभ्यता के सबसे रहस्यमयी प्रमाणों में से एक बने रहेंगे।
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उड़नतश्तरी जैसा आकृति |
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अवलोकन करते हुए |
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