नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है हमारे नये blog में आज हम लोग फिर एक बार बस्तर भ्रमण में आपको ले चलते है जी हाँ दोस्तों आज आप लोगों को एक पुरातात्विक स्थल की सैर करवाने वाले है जिस जगह की हम बात कर रहे है उस स्थल का नाम है मांझीनगढ़ यह स्थल कोंडागाँव जिले के केशकाल ब्लाक के एक उपब्लाक विश्रामपुरी के अंतर्गत आता है यह स्थल विश्रामपुरी से पूर्व उत्तर दिशा में लगभग 10-12 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है यह स्थल खल्लारी नामक गाँव से लगभग 7-8 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है सरकार सौदर्यीकरण के तहत शुरू के चढ़ाव में कुछ दुरी तक कान्ग्रेटीकरण किया है फिर उपर चढ़ जाने पर प्राकृत और मानव के द्वारा निर्मित पैडग्री रास्ता बना है जो की बहुत ही शानदार है आपके गाडी मोटर व्यू पॉइंट के ठीक पास तक जा सकती है यह स्थल कई किलोमीटर में फैला है आप लोगों ने अगर टाटामारी गए होंगे तो जितना दूर तक टाटामारी फैला है मांझीनगढ़ उससे भी अधिक फैला है जिस प्रकार टाटामारी का व्यू पॉइंट है वैसे ही मान्झिनगढ़ का भी व्यू पॉइंट है लेकिन थोड़ा सा यह अंतर है की टाटामारी में कई सौंदर्यीकरण के तहत कई सारी सुविधाओ का लाभ हम ले सकते है और वंहा पहुचना बहुत सुलभ है क्योकि वह केशकाल से बिलकुल लगा है लेकिन यह केशकाल से कांफी दूर है और अभी तक शासन ने यंहा कोई सौदर्यीकरण नहीं किया है कोई अन्य सुविधा भी यंहा नही मिलेगी इसलिए यह छुपा हुआ है यह क्षेत्र कांफी संवेदनशील क्षेत्र में भी आता है यह स्थल प्राकृतिक मनोरम दृश के साथ साथ ऐतिहासिक और पुरातात्विक और धार्मिक महत्व रखता है क्योकि यंहा भी आदिमानव कालीन शैल चित्र व कई आदिमानव कालीन गुफा देखने को मिल जायेंगे यंहा जो शैल चित्र बना है उसे लहू हांथा के नाम से जाना जाता है इसकी भी चमक वक्त के थपेड़ो के साथ साथ कम होती जा रही है इसे भी संरक्षित करने की जरुरत है अन्यथा इसे सरारती तत्वों द्वारा नुक्सान पहुचाये जाने का खतरा बहुत अधिक है क्योकि पहले जब सब अनजान थे तब यह सुरक्षित था पर जैसे जैसे लोगों का आना जाना शुरू हुआ है इसकी अस्मिता पर खतरा मंडरा रहा है शासन प्रशासन अपने संज्ञान में लेकर इसे भी पुरातात्विक हेतु सरक्षित करने हेतु पहल करें लोगों और मान्यताओ की माने तो यंहा आदि काल में उइका लोगो का अनमन जनमन यंही से माना जाता है आस पास के लोगों के मध्य यह किवदंती प्रचलित है की यंहा उइका बौनों का राज चलता था तथा इसी के आस पास उनका कंदराओ में उनका निवास स्थल था कहने और सुनने में आया है की यंहा कई बड़े बड़े गुफा है जिसमे एक छोटा सा गाँव आसानी से आ सकता है करके अगर हमारे लोग जागरूक होंगे तो भविष्य में इस अनसुलझे पहलु से भी पर्दा उठ जायेगा की वास्तविक में ऐसा गुफा आस पास है भी की नही खैर हम लोगो ने वंहा जाकर कांफी सुकून महसूस किये एक दिन और हमारा प्राकृतिक के सुनहरी छाव तले गुजरा आप उन पलों का दीदार निचे फोटो से कर सकते है आप अपने दोस्तों के साथ अगर पिकनिक जाने की सोच रहे है तो यह बहुत ही शानदार स्थल है इस स्थल पर शाम को जाने लायक नही है कई जंगली जानवर होने की आशंका रहती है व कई अप्रिय घटना होने की सम्भावना रहती है आप दिन में ही जाए तो जायदा बेहतर है और अगर कोई त्यौहार को जाए तो और बढ़िया है यंहा जिस दिन भंगाराम देवी में जात्रा होता है उसी दिन यंहा भी गढ़मावली जात्रा होता है जन्हा आस पास के सभी गाव वाले सम्मिलित होते है आज के लिए बस इतनी ही जानकारी फिर कभी नए जगह और नए जानकारी के साथ मिलेंगे तब तक के लिए जय जोहार जय माँ दंतेश्वरी
Nice one bro bahut hi satik jankari uplabadh kiye Ho aap
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