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मेरा गांव कोदागांव mera gaon kodagaon aaryan chiram

मेरा गांव



मेरा गांव का नाम कोदागांव है। मेरे गांव को कांकेर जिला में सबसे बड़ा गांव होने का गौरव प्राप्त हैं। मेरा गांव कांकेर शहर से 17 कि.मी ​दक्षिण पश्चिम दिशा में स्थित है। और अगर हाइवे से लिया जायें तो 13 किलोमिटर की दुरी में बसा हैं। मेरा गांव बहुत ही सुन्दर गांव एंव स्वच्छ गांव है।यह गांव प्राकृति के गोद में बसा और अद्वितीय अनुभूति देने वाला मेरा जन्म स्थल है। मेरा लगाव जितना मेरे देश की ​मिटटी से है। उतना लगाव मेरे गांव के मिटटी से है। कहते है। न जननी जन्मभुमिश्च स्वर्गदी अपि गरिश्यसि मेरा गांव धन धान्य से परिपुर्ण एंव समृध्द गांव है।मेरे गांव कें पुर्व दक्षिण भाग में पहाड हैं। तथा पश्चिम उत्तर दिशा में नदी है।

जनसंख्या

मेरें गांव की जनसंख्या लगभग 2000 से 3000 हजार के लगभग है।
मेंरे गांव में 10 पारा और 21 वार्ड है।लगभग 700 परिवार निवास करते है। प्रति परिवार औसत 4 सदस्य है। तथा उनकी औसत आय लगभग 50.000 हजार सलाना है।तथा हमारे गांव की लगभग तीन चौथाई जनता को गरीबी रेखा का चांवल मिलता है। हमारे गांव में एक राशन दुकान है। जहां से उन्हे राशन मिलता है। हमारे गांव के जनसंख्या में लगभग 3प्रतिशत बुजूर्ग है। जिन्हे फ्री मे 10 किलो चांवल प्रति माह दिया जाता है। तथा प्रति माह पेंशन दिया जाता है।तथा 5 प्रतिशत बच्चे है। उनकी प्रा​थमिक शिक्षा के लिए आंगनबाडी एंव फुलवारी योजनाएं संचालित है।


मेरे गांव के आर्थिक पक्ष

मेरा गांव आर्थिक रूप से सुदृढ गांव है। मेरे गांव काफी समृध्द गांव है।मेरा गांव सभ्य ,सुन्दर ,सुशिक्षित एंव नैतिकता और आदर्श गांव है।मै यही पला बड़ा हू।तथा यही से शिक्षा ग्रहण किया हुं । और आज मै अपने गांव के बारे में आप लोगो को बता रहा हुं। मेरे गांव में लगभग 200 से 300 तक बोरवेल्स है। जहां पर रवि फसल लिया जाता हैं।मेरे गांव में खेती के लिए एक नहर आता है। ​जो ​जिरो डेम से धनेलीकन्हार होते हुए आता है। जो हमारे गांव के दो चौथाई भाग में सिंचाई करता है। मेरे गांव आकर नहर दो भागों में बंट जाता है। एक ​दक्षिण से पुर्व होते हुए उत्तर दिशा के नदी में जा मिलता है। तथा एक दक्षिण पश्चिम होते हुए उत्तर दिशा के नदी में जाकर मिलता है। मेरे गांव के 3 चौथाई भाग में वर्तमान में रवि फसल लिया जाता है। मेरा गांव के पुर्व व दक्षिण दिशा में पर्वत है तथा ​पश्चिम उत्तर दिशा में नदी हैं। मेरा गांव कुदरत के गोद में बसा बहुत ही सुन्दर गांव है। हमारे गांव में खरीब में धान मक्का गन्ना की खेती होती है। तथा

ओनहारी खेती

सरसो,चना,लाखडी,बटरा कुल्थीउडदराहेड,मडिया,गेहू मटर आदि की भी फसले ली जाती है।


घर की बाडी में सब्जीयों की खेती की जाती है। जिसमें प्रमुख सब्जी है। सेमी,बरबटटी,कददूलौकीबैगनतोराईगवांर फल्ली,कुन्दरू करेला जिरर्रा,चेन्च भाजी ,जरीदार भाजीरखिया,उडदगोभीभिन्डी आदि सब्जी उगाई जाती है। इसके अलावा कटहल मुन्गा आदि पेडों वाला सब्जी भी मिलता है।

अन्य फसले या आय के साधन

हमारे गांव में अन्य बाजारी आय के प्राकृतिक या प्रत्यक्ष लाभ वाले फसल भी होते है। जिसे प्राकृतिक फसले भी कहा ला सकता है। इसमें हर्रा ,बेहडा ,चारमहुआ ईमलीआमतेन्दू पत्ता  आदि से प्रत्यक्ष लाभ वाली प्राकृतिक चीजे भी मिलती है।

जंगली फलफूल

हमारे गांव में जंगली फले भी मिलती है। जिनमे जंगली बेरसीताफलछींदचार ,तेन्दू,आम काजु ,अमटीबेलकैंटडुमर,भेलवा,आदि प्रमुख है।

जंगली कंद

करू कंदतिखुर जंगली हल्दी आदि


जंगली भाजी 
कंदई भाजीबर्रे भाजीचांटी भाजी चरोटा भाजीकोलियारी भाजीआदि है।

अधिक मात्रा में पाये जाने वाले पेड़पौधे

हमारे गांव में हर्रा ,बेहडाचारमहुआसाहजासेन्हाकर्राबबूल,तेन्दूछीद सीतानीम ,आमपीपलबरगद,डुमरआदि पेड़ अधिक मात्रा में पाया जाता है।



शिक्षा ​एंव संस्था।
हमारे गांव में लगभग 8—10 आंगनबाडी केन्द्र है। जहां बच्चो को प्रा​थमिक शिक्षा दिया जाता है। तथा 4 प्राय​मरी स्कुल 2 मिडिल स्कुल व 1 हायर सेकेन्डरी स्कूल है। साथ ही साथ आदिवासी छात्रवास भी है। हमारे गांव के स्कुल से निकले विद्यार्थी कई सरकारी पदो में कार्यरत है। तथा अपना सेवा शासन को दे रहें है।हमारे गांव का स्कुल कांकेर जिला का एक ख्याति प्राप्त स्कुल है। जहा समय समय पर कई प्रकार के कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता है।


सांस्कृतिक पक्ष
हमारे गांव में कई प्रकार का सांस्कृतिक कार्यक्रमो का आयोजन ​विभिन्न उत्सवों के अवसरों में किया जाता है। हमारे गांव में एक सांस्कृतिक नाटक मंच भी है। इस संगठन का नाम ज्योति सांस्कृतिक नाटक मंच रखा गया है। तथा 2 रामायण मंडली भी है। एक पुरूषो का एक महिलाओं का। तथा हमारे गांव में समय समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम रखे जाते है। जैसे रामसप्ताहभजन ​क्रीतन सत्संग नाचा गम्मत डांस प्रतियोगिता खेल प्रतियोगीता आदि प्रतियोगिता रखा जाता है।

अन्य जानकारी 
हमारे गांव में लगभग 25 से 30 तालाब है। जिनका उपयोग पशुओ को धोने व नहाने मछली पालन तथा पशुपक्षियों के पीने व खेतो मे सिचाई करने के लिए किया जाता है।वर्तमान में कई तालाब निर्माणाधीन है। तथा हमारे गांव में एक बांध है। जो 2009 से 2011 तक बनी है। तथा हमारे गांव में प्रत्येक पारा में 1—1 नल है। जिससे पीने की पानी की आपुर्ति होती है।तथा एक टाईमिग नल भी है। जिसका पानी दिन में दो बार सुबह और शाम को पुरे गांव में सप्लाई होती है।तथा वर्तमान में हमारे गांव में प्रत्येक पारा में 1—1 पानी टंकी अलग से बनार्इ् जा रही है। ताकि पानी की किल्लत न हो। हमारे गांव में पशु चराने के लिए प्रयाप्त स्थान था किन्तु वर्तमान में बहुत कम बचा हुआ हैं तथा हमारे गांव में लगभग 1000 गाय बैल 150 भैस 70 सुंवर 1500 मुर्गीयां व 700 अन्य पालतू पशु है। तथा हमारे गांव में लगभग सभी घर सायकल व 60 प्रतिशत लोगों के पास मोटर साइकल व 0.03 प्रतिशत लोगो के पास चार पहिया वाहन है। हमारे गांव के पहाड में बंदर भालू सियार खरगोश जंगली बिल्ली व अन्य जंगली जानवर पाया जाता है।हमारे गांव में बटेर पक्षीव जंगली कबुतर  कौआ ​गौरेया चटीया उसी कोयल बाज तोता आदि पक्षी देखने को मिलता है।हमारे गांव में 3राइसमिल है।व आटा मिल है।तथा बिजली आपुर्ती हेतू गांव में लगभग 10 ट्रांस्फार्मर है। जहां से पुरे गांव में बिजली सप्लाई होता है। गांव में 3 मंदिर हैं राम मंदिर शिव मंदिर व राम मंदिर व शितला मंदिर


देवी देवता स्थल ?
हमारे गांव में कई प्रकार कें देवी देवता स्थल है। जिनमें
1. आंगा देव स्थल यह सितला मंदिर के उपर पहाड के किनारे है। तथा
2.ठाकुर देव यह ईसाई बंगला के पास है।
3.ठाकुर देव यह भी लडके साइड के इसाई बंगला के पास स्थित है।
4.राव देव यह पहाड किनारे स्थित है।
इसके अलावा और देवी देवता है। जिसमें पहाड वाली रानी माई काली माई डोकरी दाई आदि देवी देवता है। जिनका देव स्थल केवल पुजारी व गांव के कुछ ही लोगो को पता है।


पारा के नाम और कुछ विशेषताएं

1.पटेल पारा:— यह हमारे गांव कें दक्षिण दिशा में स्थित है। यह हमारे गांव के सबसे बडे पारा है। इस पारा में एक प्राथमिक शाला स्थित है। तथा सितला मंदिर इसी पारा से होकर जाते है। इस पारा का और कई नाम है। आवास पारा ,उप्पर पारा ,नयापाराआदि इस पारा में बडी तालाब स्थित है। जिसे हडडी तालाब के नाम से जाना जाता है। यह तालाब सरकारी है। यह पारा पहाड से काफी करीब है।

2. खाल्हेपारा: यह गांव के प​श्चिम दिशा में स्थित हैै। इस पारा में सबसे ज्यादा कुंआ है।तथा इस पारा में गौरागौरी चौक स्थित है।इसपारा में दिपावली में बहुत ही अच्छा कार्यक्रम रखा जाता है। तथा इस पारा में कबीर चौक है। ​जहां पर 25 दिसम्बर को कबीर पंथी का कार्यक्रम रखा जाता हैै।

3.पडिनपारा: यह पारा गांव के ​उत्तर दिशा में स्थित है। यह पारा पोटगांव जाने वाले रास्ते में बीच से कच्ची सड़क उत्तर दिशा कि ओर जाता है। जो पडिनपारा जाता है। जो गांव से करीब 900 मी. की दुरी में बसा एक छोटा और सुन्दर सा पारा है।इस पारा में लगभग 25 से 30 घर है। यह नदी के बहुत ही करीब में बसा है। तथा यहा से हिगंनझर बहुत ही नजदीक पडता है। हिंगनझर से बाजार करने वाले इसी रास्ते से आते है।

4.टिकरा पारा:— यह गांव कें मध्य एंव उत्तर दिशा में स्थित है। इस पारा में बाजार होता है। तथा राम मंदिर भी इसी पारा में स्थापित ​किया गया है। इस पारा में नौरात्र मे पंचमी से अष्टमी तक रामायाण कार्यक्रम रखा जाता है।इस पारा मे एक प्राथमिक शाला ​स्थित है। जो बाजार के पास ही है। इस पारा में बहुत सारी किराना दुकाने स्थित है। जहां भिन्न भिन्न प्रकार के समान मिलता है।

5. आंवरा भाट :  यह पारा गांव से लगभग 1.50 किलोमीटर की दुरी पर पुर्व उत्तर कि दिशा में बसा है। इस पारा में एक प्राथमिक शाला और एक मिडिल स्कुल स्थित है। इस पारा में गोंड जनजाति के लोग अत्यधिक है। इस पारा में लगभग 150 घर है। तथा यह पारा मैनपुर जाने वाले रास्ते में पडता है। मैनपुर जाने वाले रास्ते से लगभग 800 मीटर उत्तर दिशा में यह पारा स्थित है। इस पारा से चंदेनी जाने का सार्टकट रास्ता है। यह पारा से नदी काफी नजदीक है। वर्तमान में इस पारा को अलग से गांव माना जाने लगा है। जिसे कोदागांव का आश्रित गांव कहा जाने लगा है। इस पारा से  लगभग 900 मी. की दुरी पर नदी स्थित है।नदी कोदागांव को चंन्देनी से अलग करता है। कहने का तात्पर्य यह है। कि यह पारा कांकेर ब्लाक के बाव्डर पर स्थित है। नदी के उस पारा चारामा ब्लाक लग जाता है। इस पार कांकेर ब्लाक और मैनपुर इस पारा से लगभग 2 कि.मी की दुरी पर है। इसी रास्ते से मैनपुर जा सकते है।

6.बंगला पारा: यह पारा गांव कें पुर्व दिशा में स्थित है। इस पारा में ईसाई बंगला स्थित है। इसलिए इसपारा को बंगला पारा के नाम से जाना जाता है। ईसाई लोगो का इस साइड के बंगले में केवल ​लड़कियो को रखा जाता है। एक प्रकार से यह प्राइवेट गर्ल हास्टल हैं।जहां दुर दुर से गांव में पढनें आने वाले छात्राएं रह सकतें है। यह बंगला बहुत ही पुराना समय से है। पहले ईसाई लोग गांव के लोगो का इलाज भी किया करते थे। किन्तु वर्तमान में कई डॉक्टर है। गांव में इसलिए ईलाज नही करतेइस पारा में गांव का एक मात्र उपस्वास्थय केन्द्र मौजुद है। जहां हमारे गांव के लोगो को प्राथमिक ईलाज मुहैया किया जाता है। तथा इसी पारा में एक बड़ा सा पानी टंकी भी मौजुद है। जिसका पानी पुरे गांव में सप्लाई किया जाता है। इस टंकी को 2010—2011 के लगभग बनाया गया है। इस पारा में राधा स्वामी सत्संग व्यास स्थिापित किया गया है। तथा इसी पारा में ठाकुरदेव भी है। यह पारा से होते हुए ही देवरी जा सकते है। या यह कह सकते है। कि यह पारा देवरी रास्ता में पडता है।



7.स्कुल पारा: यह पारा गांव के मध्य भाग में स्थित है।इसी पारा में गांव के सबसे बड़े स्कुल हायर सेकेन्टरी स्कुल मौजुद है। जहां वर्तमान में लगभग 800 विद्या​र्थी अध्ययनरत है। यह स्कुल कांकेर जिला का ख्याति प्राप्त स्कुलो मेसे एक है। इस स्कुल से पासआउट हुये विद्यार्थी आज कई सरकारी पदो में पदस्थ होकर देश की सेवा कर रहें है। तथा अपना और इस स्कुल का नाम रोशन कर रहे है।

8.ईमली पारा:— यह पारा आंवरा भाट में ही स्थित है।


9.भंजन पारा:— यह पारा गांव के ​पश्चिम दिशा में लगभग 1.50 किलोमीटर की दुरी में बसा है। इस पारा से होते हुए ही आप बाबू दबेना जा सकते है।



10.आमापारा:— यह पारा गांव के दक्षिण पश्चिम दिशा में स्थित है। इस पारा में एक प्राथमिक स्कुल स्थित है। तथा इस रास्ते से आप धनेलीकन्हार जा सकते है।

मेरे गांव के आसपास स्थित गांव और मेरे गांव से उनकी दूरी

1.बारदेवरी यह मेरे गांव से 4 किलोमीटर की दुरी पर पुर्व दिशा कि ओर बसा है।

2.कन्हारपुरी यह मेंरे गांव से लगभग 3 किलोमीटर की दुरी पर पुर्व ​दक्षिण दिशा में बसा है

3.जोगी नगर यह मेरे गांव से लगभग 1.50 कि.मी की दुरी में पुर्व दक्षिण दिशा मे बसा है।


4.धनेलीकन्हार यह गांव मेरे गांव से लगभग 3.50 कि.मी की दुरी पर दक्षिण पश्चिम दिशा में बसा है।

5.बाबू दबेना यह मेरे गांव से पश्चिम दिशा में लगभग 3 कि.मी की दूरी पर बसा हैं


6.पोटगांव यह गांव मेरे गांव से 3.50 कि.मी की दूरी में पश्चिम उत्तर ​की ओर बसा है।

7. हिंगनझर यह मेरे गांव से लगभग 4 कि.मी की दूरी में उत्तर दिशा की ओर बसा हैं।

8.चन्देनी यह गांव मेरे गांव से लगभग 4 कि.मी की दूरी में उत्तर पुर्व की दिशा मे बसा है।

9.मैनपूर यह मेरे गांव से लगभग 4.50 कि.मी की दूरी पर पूर्व की ओर बसा है।

10.किरगोली यह मेरे गांव से 4 किलोमीटर की दूरी पर पूर्व दिशा मे बसा गांव है।


क्षेत्रफल
गांव का क्षेत्रफल निम्नलिखित प्रकार से है।हमारे गांव का क्षेत्रफल
दक्षिण से उत्तर 4.694 कि.मी 2.917 मिल तक फैला हुआ है। तथा
 पूर्व से पश्चिम 3.936 कि.मी 2.446मिल तक फैला है। तथा हमारे गांव का कुल क्षेत्रफल
कुल 14.7 कि.मी 9.1 मिल है।तथा गांव के लगभग 3 मील पर ही घर बने हैं। बाकि 6 मील में खेत मैदान पहाड आदि है।

किवन्दती लोक कहावत
हमारे गांव के संदर्भ एक किवन्दती है। कि हमारे गांव का नाम कैसे कोदागांव पड़ा। कहा जाता है।कि एक बार हमारे गांव में एक बार बहुत ही अधिक कोदो हुआ उसको नापते नापते कई सप्ताह बित गया जितना नापता उतना बडता जाता एक समय एैसा आया कि नाप नही पाया और पुरा कोदो पहाड में परिवर्तन हो गया उस दिन से हमारे गांव का नाम कोदोगांव हुआ और वही नाम धीरे धीरे कोदागांव हो गया जो वर्तमान में प्रचलित है।

त्यौहार एंव उत्सव ?

हमारे गांव में वैसे तो सभी त्यौहार को धुम धाम से मनाते है। केवल दशहरा नही मनाया जाता ​है।कारण तो पता नही पर सुनने में आता है। कि हमारे गांव के रावण चोरी हो गया इसलिए दशहरा नही मनाया जाता है। एैसा माना जाता है। हमारे गांव में दुर्गा नवरात्र पर्व को बहुत ही धुमधाम से मनाया जाता हैैं। येसा माना जाता है।कि जो नवरात्र मे जो रामायण कार्यक्रम रखा जाता है। वो हमारे गांव से शुरू हुआ।मुझे भी यह बात बिलकुल सही लगता है। मेरे जानकारी के अनुसार यह बात बिलकुल सही है। पहले हमारे गांव में एक साइड ,पटेल पारासाइड दुर्गा पक्ष में देवी देवता का पुजा होता था तथा उन्हे खेलाया जाता था तथा रात भर भजन गाया जाता था लेकिन इससे टिकरापारा साइड स्थिापित दु्र्गा के पास केवल पुजारी के अलावा कोई नही रह जाता था सब लोग पटेल पारा साइड देखने आ जाते थे।उस साइड के लोग सोचे कि इधर क्यो न रामायण किया जाये ताकि जो लोग उधर जाते है। देखने वो न जाये इसलिए पहले साल क्रीतन करवाया गया उनके अगले साल दो तीन गांव के रामायण मंडली बुलवाया गया। इसप्रकार धीरे आस पा्स के गांव में लोग रामायण करवाने लगे आज के वर्तमान में प्राय: सभी गांव में दुर्गा पक्ष में रामायण कार्यक्रम रखा जाने लगा है।दुर्गा पक्ष को हमारे गांव में बहुत ही धुमधाम से मनाया जाता है। पहले 1से 9 दिन तक रामायण कार्यक्रम रखा जाता था किन्तु वर्तमान में पंचमी से अष्टमी तक ही रामायण कार्यक्रम रखा जाता है। तथा नवमी के दिन गांव के बच्चों की डांस कम्पीटिसन रखा जाता है।।इसकें अलावा दिपावली के त्यौहार को बहुत ही धुमधाम से मनाया जाता है। तथा इसदिन गांव के गौरा गौरी चौक में कार्यक्रम का आयोजन भी करवाया जाता है। इसकें अलावा होली त्यौहार को गांव के होलिका दहन स्थल पर होलिका दहन किया जाता है।तथा टिकरा पारा में फाग गीत का आयोेजन भी किया जाता है।


मेला

हमारे गांव का मेला फरवरी महिने के पहले सप्ताह के प्रथम शुक्रवार को होता है।तथा इस मेंले में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।इस मेले में बहुत ही भीड़भाड़ रहता है।आस पास के सभी गांव के लोग आते है। तथा ​मेंला देखने सभी अपने रिश्तेदारो को इन्वाइट भी किये रहतें।
लेकिन वर्तमान 2016 से हमारेे गांव में दों बार मेला हो रहा है। एक फरवरी में तथा सेकेन्ट शिवरात्रि को इस वर्ष प्रथम बार हुआ है।बहुत ही अचछा और बहुत ही भीड़ था।

धार्मिक पक्ष
हमारे गांव में प्राय: सभी धर्मो को मानने वाले लोग रहते हैं। हमारे गांव के लोग सभी धर्मो के कार्यक्रम को समान रूप से सम्मान देते है। तथा एक दुसरे के कार्य​क्रमो में भाग लेते है। जैसे दुर्गा पक्ष,गणेश पक्ष के कार्यक्रम में सतनामी एंव इसाई लोग समान रूप से सहायता देते है। तो हिन्दु लोग भी गुड फ्राई डे व क्रिसमस डे को उनके कार्यक्रम में भाग लेते हैं।तथा ​कबीर पंथी में भी समान रूप से भाग लेते है। किसी भी प्रकार का भेदभाव नही है।बहुत ही भाईचारा है। तथा मदद की भावनाओ से परिपुर्ण है।


नैतिक पक्ष 
हमारे गांव में आपको नैतिकता भी देखने को मिलेगा हमारे गांव में नैतिक भाव सिखाने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिसके माध्यम से सभी नैतिककता वान हो इसलिए ​प्रत्येक शुक्रवार को मानवधर्म संबं​धित कार्यक्रम व रविवार को सत्संग कार्यक्रम होता है।तथा  मातृपितृ दिवस आदि कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।


समाजिक पक्ष
कोदागांव के सभी समाज का सामाजिक पक्ष बहुत ही मजबुत है। जो अन्य गांव के समाज के लोगो के लिए आदर्श का प्रतिक है। यहां कई समाज के लोग है। और सभी समाज के लोगों का अपने समाज के अन्य गांव के आपेक्षा यहां की समाजिक पक्ष बहुत ही मजबुत है।
बताने को और भी बहुत कुछ है। दोस्तो आ​धी जानकारी अगली बार जरूर पढें मेंरे अगला आलेख मेरा गांव आपका अपना आर्यन चिराम

संलग्न चित्र निम्नाकित है।



1.कोदागांव चौंक का नक्शा चित्र




2.कोदागांव पहाड का नक्शा चित्र







3.कोदागांव रास्ते का नक्शा चित्र





4.कोदागांव तालाब का नक्शा चित्र






5.कोदागांव बांध का नक्शा चित्र













6. कोदागांव अटल चौक बाजार पारा,टिकरापारा कोदागांव का चित्र






7.राम मंदिर कोदागांव का चित्र






8.रानी माई पहाड कोदागांव का चित्र




9.सीता गुडरा कोदागांव का चित्र 



10.कोदागांव कि प्रमुख स्थल




 11,कोदागांव कि प्रमुख स्थल



प्रस्तुत जानकारी मेरे अपने जानकारी के अनुसार है। इसमें किसी भी प्रकार की कोई नकल नही किया गया है। तथा मेरे द्वारा लगाये गये कुछ अनुमान में कुछ त्रुटि भी हो सकता है। आपका अपना आर्यन चिराम



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