नमस्कार दोस्तो
जो न केवल धार्मिक आस्था का केन्द्र है।
अपितु जो पुरातात्विक,धार्मिक आस्था और अन्वेषण और एैतिहासिक तथा प्राकृतिक रूप से अपना अलग महत्व रखता है। जी हां आपने बिलकुल सही सुना क्या पता है। वह स्थान कहां स्थित है। और क्या नाम है। चलो बता देता हुं।उस स्थान का नाम है। गोबरहिन और वह स्थित है। मेन रोड कांकेर से जगदलपुर वाले मार्ग से लगभग 3 किलोमीटर की दुरी पर जी हां यह गांव का नाम बटराली है। जो केशकाल से लगभग 3 किलोमीटर की दुरी पर बसा है। पश्चिम दिशा में गढ़ धनौरा के पास इसे गढ़ धनौरा का प्रर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है।यहां तीन मंदिर समुह उपस्थित है। गोबरहिल मंदिर समुह विष्णु मंदिर समुह और बंजारी मंदिर समुह,,
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1.गोबरहिन मंदिर समुह में एक विशाल ईट निर्मित टीला है। जिसके उपर गर्भ गृह एंव अंतराल है। तथा गर्भगृह में शिललिंग की प्रतिष्टठा किया गया है।इसके अतिरिक्त और दो अन्य मंदिरावशेष दृष्टव्य है।
यहां की सभी संरचनायें ईट और पत्थरो से निर्मित है।तथा इनके निर्माण के संबंध मे अनुमान लगाया जाता है। कि इनका निर्माण 5वीं से लेकर 7वीं शताब्दी ईस्वी मे मध्य नलवंशीय राजाओं के राजकाल में हुआ है।.
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2.विष्णु मंदिर समुह में विष्णु शिव एंव नृसिंह के मंदिर सहित कुल 10 मंदिर है।
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.गढ़ धनौरा से प्राप्त कुछ प्रतिमायें जिला पुरातत्व संग्रहालय जगदलपुर में प्रदर्शित है।कुछ इन्ही में से काले प्रस्तर से निर्मित द्विभ्ज्ञुजी स्थान पर विष्णु प्रतिमा कला की दृष्टि से गिनी चुनी प्रतिमाओ में से एक है।
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आज के लिए बस इतना ही दोस्तो फिर कभी नया जगह नया जानकारी के साथ तब तक के लिए जय मां दन्तेश्वरी जय हल्बा
आपका अपना
आर्यन चिराम
संलग्न चित्र
भाग्य आजमाने वाले शिवलिंग ममता दीदी अपना भाग्य अजमाती हुई
शिवलिंग दर्शन
पत्थर की कलाकारी
पत्थरो से निर्मित कलाकारी
शिव मंदिर के बाजु में स्थित ताबें का नाग
दर्शन के लिए जाते हुए फोटो
ग्रुप फोटो विशाल श्री कृष्णा मंदिर प्रांगण में